Mau district Supply officer order flamed of Commissioner of FCS.
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उत्तर प्रदेश के 43 जिलों में उजागर भ्रष्टाचार से परेशान मुख्यमंत्री व आयुक्त खाद्य एवं रसद ने अपने मिज़ाज को तल्ख करते हुए भ्रष्टचारियों पर बड़े फैसले लेने की शुरुआत कर दी है। अभी हाल ही में आयुक्त खाद्य एवं रसद द्वारा जारी एक पत्रांक में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि आधार ऑथेंटिकेशन सुविधा का दुरूपयोग करने वालों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही जिले के जिलापूर्ती अधिकारियों द्वारा की जाए। आयुक्त खाद्य एवं रसद द्वारा जिलापूर्ती अधिकारियों से दोषी कंप्यूटर ऑपरेटरों और कोटेदारों पर कार्यवाही करने की बात की गई है। लेकिन सूत्रों की मानें तो मऊ जिलापूर्ती अधिकारी अपने सहयोगी और भ्रष्टाचार में लिप्त कम्प्यूटर ऑपरेटर अजीत सिंह, व भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं। हमारे द्वारा आपको यह बताया जा चुका है कि जिलापूर्ति अधिकारी नरेंद्र तिवारी इससे पहले गाजीपुर में जिलापूर्ति निरीक्षक के पद पर आसीन रह चुके हैं तथा इनके द्वारा गाजीपुर से ही अजीत सिंह प्राइवेट कर्मचारी को मऊ जिले में कार्यरत किया गया है।
हम आपको बता दें कि मऊ जिले के शिकायतकर्ता परदहां वार्ड संख्या० 6 से भाजपा सभासद दिनेश कुमार सिंह द्वारा जिन 12 दुकानों में अनियमितता की शिकायत शासन से लेकर प्रशासन तक की गई थी उनमें से 9 दुकान ऐसी हैं जिनमे कंप्यूटर ऑपरेटर व भ्रष्ट कर्मचारियों तथा कोटेदारों द्वारा आधार ऑथेंटिकेशन सुविधा का दुरूपयोग करके सरकार के राजस्व को लाखों का चूना लगाया जाता रहा है। लेकिन मऊ जिलापूर्ती अधिकारी द्वारा आयुक्त खाद्य एवं रसद जवाहर भवन लखनऊ के आदेश के उपरांत भी भ्रष्ट कॉम्प्यूटर ऑपरेटर और जिले में पूर्व से ही भ्रष्टाचार में लिप्त निरीक्षक हर्षिता राय एवँ लिपिक धीरज कुमार अग्रवाल तथा चपरासी नारायण यादव को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
शिकायतकर्ता दिनेश कुमार सिंह ने हमसे बातचीत कर हमे बताया कि जिले में आयुक्त खाद्य एवं रसद जवाहर भवन के जारी पत्रांक के बाद भ्रष्टाचार और भी बढ गया है,अब जिलापूर्ती अधिकारी द्वारा आधार ऑथेंटिकेशन दुरुपयोग के जाँच के नाम पर कोटेदारों का शोषण किया जा रहा है तथा एफ.आई.आर दर्ज करवाने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने हमें बताया कि जिन 12 दुकानों में जिलापूर्ती अधिकारी के सहयोग से भ्रष्टाचार हुआ है उनमें 9 दुकानों का नाम आयुक्त खाद्य एवम रसद की जांच में भी सामने आया है, लेकिन भाजपा सभासद के अनुसार जिले में हो रहे इतने व्यापक भ्रष्टाचार पर अब तक शासन की ओर से कोई भी कार्यवाही नही हुई है और न ही भ्रष्टाचार का कारण उजागर हुआ है। आपको बता दें कि आयुक्त खाद्य एवम रसद के पत्रांक के उपरांत 43 जिलों में अब तक केवल कोटेदारों पर ही कार्यवाही सामने आ रही है,लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि आधार ऑथेंटिकेशन करना केवल कोटेदारों के ही बस की बात नही है अपितु गहन जांच करने पर इस भ्रष्टाचार के समुंदर में बड़े मगरमच्छों के पकड़े जाने के भी पूरे आसार हैं।