Friday, March 28, 2025
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कुलदीप का कारनामा : ग्रेजुएट से अचानक हुए इंटर पास, 5 बरस में सिर्फ दो साल बढ़े

SI News Today

View Source:-अलोक पाण्डेय

रसूख की बदौलत राजनीति करने वाले उन्नाव के दबंग विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के कारनामों की फेहरिस्त सामने हैं। चुनावी हलफनामों में गलत जानकारी देने के जुर्म में कुलदीप पर जल्द ही एक और मुकदमा दर्ज होने की संभावना है। तीन चुनावों में खुद को कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक बताने वाले कुलदीप अचानक पिछले चुनाव से खुद को इंटरमीडियट उत्तीर्ण बताने लगे हैं। चुनावी रिकार्ड में कुलदीप की उम्र भी वर्ष 2012 से 2017 के दरम्यान सिर्फ दो वर्ष बढ़ी दर्ज हुई है। बालू खनन के ठेकों में उगाही और जमीनों पर कब्जों के लिए बदनाम विधायक ने पिछले कार्यकाल में 11 एकड़ खेत भी खरीद लिए। जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए रकम की व्यवस्था कैसे हुई, यह साफ करने से परहेज किया गया है।

सिर्फ 15 साल तक ग्रेजुएट रहे सेंगर!

कानून के शिकंजे में उलझे बांगरमऊ के विधायक वर्ष 2017 से पहले तक खुद को कानपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट बताते थे। कुलदीप का दावा था कि उन्होंने कानपुर के डीएवी कालेज से बीए की डिग्री को हासिल किया है। कुल 23 साल के लंबे सियासी सफर में कुलदीप ने पहला चुनाव उन्नाव की सदर सीट से बसपा के टिकट पर लड़ा और जीता था। इस चुनाव में दाखिल हलफनामे में कुलदीप ने खुद को ग्रेजुएट ही घोषित किया था। वर्ष 2007 और वर्ष 2012 में क्रमश: बांगरमऊ और भगवंतनगर से चुनाव लडऩे के दौरान भी कुलदीप की शैक्षिक योग्यता ग्रेजुएट ही बताई गई। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बतौर भाजपा प्रत्याशी कुलदीप ने बांगरमऊ से परचा दाखिल करते समय खुद को इंटरमीडियट पास बताया है। इस बारे में सवाल करने पर कुलदीप कहते हैं कि उन्नाव के राजा शंकर सहाय इंटर कॉलेज पढ़े हैं, लेकिन उन्हें ग्रेजुएट डिग्री के बारे में कुछ भी कहने से परहेज हैं।

उम्र की रफ्तार सुस्त, जायदाद की स्पीड तेज

कुलदीप की उम्र भी सस्पेंस में है। वर्ष 2002 के हलफनामे में कुलदीप ने खुद को 40 साल का बताया, जबकि वर्ष 2007 में उम्र 43 वर्ष बताई। इसी प्रकार वर्ष 2012 के चुनाव में कुलदीप की उम्र 48 वर्ष थी, जोकि वर्ष 2017 यानी पिछले विधानसभा चुनावों में सिर्फ 50 वर्ष पहुंची। दूसरी ओर, कुलदीप की संपत्ति दिन दोगुनी और चार चौगुनी की रफ्तार से बढ़ती गई। वर्ष 2007 में कुलदीप सेंगर के पास सिर्फ 36 लाख रुपए की जायदाद थी, जोकि वर्ष 2012 में सवा करोड़ से ज्यादा हो गई, जबकि अगले पांच साल यानी वर्ष 2017 तक तीन करोड़ का आंकड़ा लांघ चुकी थी।

11 एकड़ खेत खरीदे, लेकिन आय का स्रोत नहीं

चुनाव दर चुनाव राजनीतिक दल और चुनावी क्षेत्र बदलते रहे कुलदीप सेंगर 1996-97 में माखी ग्रामसभा से निर्विरोध प्रधान चुने गए थे। उस दौर में कुलदीप के पास दो बीघा खेत थे, जोकि वर्ष 2007 तक कुलदीप के पास मौजूद रहे। वर्ष 2012 के चुनाव में कुलदीप के मुताबिक वह खेतों के मालिक नहीं थे, जबकि वर्ष 2017 आते-आते विधायक ने माखी गांव में एक करोड़ चौदह लाख रुपए कीमत के 11 एकड़ से ज्यादा खेतों को अपने नाम लिखा लिया था। इतने बड़े पैमाने पर खेती की जमीन खरीदने के लिए रकम का इंतजाम कहां से किया गया, इस सवाल का जवाब नहीं है। कुलदीप ने सिर्फ यह स्पष्ट किया है कि उनके ऊपर सिर्फ 2012 तक डेढ़ लाख रुपए का कर्ज था।

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