The results of UPPRPB Results 2015 are suspectious.
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उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश पुलिस प्रोन्नति बोर्ड ने 2015 की 34,716 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा लगी रोक हटाने के बाद 21 मई 2018 को परिणाम जारी कर दिए है। कोर्ट ने कहा था कि लिखित परीक्षा कराए बगैर मेरिट के आधार पर भर्ती किए जाने में कोई अवैधानिकता नहीं है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने रणविजय सिंह व अन्य की कई याचिकाओं पर दिया था। याचिकाओं में कहा गया था कि सूबे में 2008 से पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर की जा रही है। 2008 का नियम था कि पहले प्रारंभिक फिर मुख्य लिखित परीक्षा कराई जाएगी। 2015 में 2008 के नियम को बदलकर लिखित परीक्षा का प्रावधान समाप्त कर दिया गया और मेरिट के आधार पर चयन करने का निर्णय लिया गया। तय हुआ कि 10वीं व 12वीं के अंकों के गुणांक के मेरिट के आधार पर चयन और फिर शारीरिक दक्षता परीक्षा कराई जाएगी। याचियों का कहना था कि मेरिट के आधार पर चयन अवैधानिक व गैरकानूनी है। याचिकाओं पर जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सूबे में पुलिस कांस्टेबलों की काफी कमी है। इस समय लगभग डेढ़ लाख पुलिस कांस्टेबलों की जरूरत है। लिखित परीक्षा की प्रक्रिया लंबी होती है। इसके माध्यम से चयन में काफी समय लग जाता है। पूर्व में हुई भर्तियों में पहले मेडिकल फिर लिखित व उसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा के माध्यम से चयन होता था। इसमें कई वर्ष लग जाते थे।
अब जब इतनी प्रतीक्षा के बाद परिणाम घोषित हुए भी है तो उनमे झोल ही झोल नज़र आ रहा है। एक अभ्यर्थी लोकेन्द्र कुमार पुत्र प्रीतम सिंह( खुर्जा) रजिस्ट्रेशन नंबर- 10216657545 है, उन्होंने अपनी टेलीफोनिक बातचीत में सबूतों के साथ बताया है कि ” इससे पहले मेरा सिलेक्शन हो चुका था मगर इस बार जो परिणाम आये है उसमे मुझे अयोग्य घोषित किया गया है।” इसके बाद इन्होने अपने तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया जिसमे एक अभ्यर्थी श्रीकेश यादव पुत्र रामचंद्र यादव है, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर- 10213146817 है इनका 10वी में कुल प्राप्तांक 451/600 था और 12वी में 426/500 था जिसे बोर्ड ने कुल 451/451 तथा 426/426 मानकर मेरिट बना दी और रिजल्ट घोषित कर दिया। ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि जो भी परिणाम बोर्ड ने घोषित किया है उनमे कोई गड़बड़ी नहीं है? ऐसे में मेरी तरह अन्य हज़ारो लोग होंगे जिन्हे इस प्रकार की गड़बड़ी की सजा उन्हें अपने भविष्य की कीमत पर मिल रही होगी। उन्होंने बोर्ड के ऊपर सवालिया चिन्ह बनाते हुए पूछा है कि “क्या ये उनके इस प्रकार की कार्यशैली का जिवंत उदाहरण नहीं है, जिसमे बिना किसी प्रपत्रों की जाँच के 2015 के परिणाम घोषित कर दिए। ये अगर इनके सॉफ्टवेयर या मैन्युअल इनपुट्स की गड़बड़ी है तो तुरंत गलती स्वीकार कर इसे सुधार करें अन्यथा हमे पुनः कोर्ट की शरण में जाना पड़ेगा। अभी हमने सिर्फ जनसुनवाई और पीएमओ कनेक्ट पर शिकायत दर्ज करवाई है।”
अब सवाल ये उठता है कि अगर इस बार बोर्ड ने लिखित परीक्षा के देर से परिणाम घोषित होने का हवाला देकर यदि इस तरह तेज़ी दिखानी है जिसमे एक अदद नौकरी के लिए किसी अभ्यर्थी को लिखित/शारीरिक/इंटरव्यू और फिर कोर्ट का सहारा लेना पड़े, तो ऐसे ऑनलाइन परीक्षा या सीधी भर्ती का मतलब क्या रह जाता है। जहाँ आपको ४ साल लग जाये परिणाम घोषित करने में और वो भी इतनी गड़बड़ियों के साथ? देखिये बोर्ड और शाशन अभी इस पर क्या फैसला लेता है!!