उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के धनीका गांव में अराजक तत्वों ने काली मंदिर की मूर्ति को तोड़ दिया है. इस घटना के बाद से पूरे गांव में तनाव का माहौल है. सूचना मिलते पुलिस-प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची. शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए गांव में जगह-जगह पुलिस बल को तैनात किया गया है. तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद हैं, और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, एक शख्स ने शराब के नशे में मंदिर में तोड़-फोड़ की घटना को अंजाम दिया है. वजह कुछ भी हो, लेकिन गांव समेत आसपास के क्षेत्र में तनाव का माहौल जरूर है. फिलहाल उस आरोपी की तलाश की जा रही है, जिसपर मंदिर में तोड़-फोड़ करने का आरोप लगा है.
शांति कायम रखना प्रशासन के लिए चुनौती
पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश में मूर्ति तोड़ने की तमाम घटनाएं सामने आ रही है. ऐसी घटनाओं पर लगाम नहीं लग पाने की वजह से प्रदेश में सामाजिक परिस्थितियां लगातार बदल रही है. इस तरह की किसी भी घटना के बाद पूरे प्रदेश में तनाव का माहौल पैदा हो जाता है. ऐसी परिस्थितियों में शांति कायम रखना पुलिस-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
महापुरुषों की सुरक्षा में पुलिस की तैनाती
बता दें, मूर्ति तोड़े जाने की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए डीजीपी ने सभी जिलों के एसएसपी को पत्र लिखा है. उसमें कहा गया है कि महापुरुषों की मूर्तियों की सुरक्षा को पुख्ता किया जाए. डीजीपी ने पत्र में साफ किया है कि, अगर किसी जिले में किसी भी महापुरुष की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए जिले का कप्तान ही जिम्मेदार होगा. पिछले दिनों यूपी में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की कई मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किए जाने की घटनाएं सामने आई थीं. इन घटनाओं के बाद कुछ जिलों में तनाव की स्थिति भी बनी थी. इन्हीं को देखते हुए प्रदेश के गृह विभाग ने यह सख्त कदम उठाया है. निर्देशों को देखते हुए पुलिस ने मूर्तियों की सुरक्षा के लिए चौकसी भी शुरू कर दी है.
सरकारी दफ्तरों में आंबेडकर की तस्वीर लगाने के निर्देश
महापुरुषों की मूर्तियों की सुरक्षा, यूपी पुलिस को सौंपे जाने के साथ ही एक आदेश और जारी किया गया है. लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जिले के सभी अधिकारियों को अपने-अपने कार्यालयों में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगाने का निर्देश दिया है. इस कदम को सरकार के आंबेडकर के प्रति झुकाव के तहत देखा जा रहा है. मार्च में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम बदलने का सुझाव प्रदेश सरकार को दिया था. प्रदेश सरकार ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उसे मान्यता दे दी थी. इसी के साथ ही अब प्रदेश के सभी सरकारी दस्तावेजों में भीमराव आंबेडकर के नाम में रामजी को जुड़ गया.