हरदोई: मोहब्बत का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुलझाने में पुलिस के भी हाथ-पांव फूल गए हैं। गर्लफ्रेंड धोखा दे गई है, लेकिन लड़का उसे भूलने को तैयार ही नहीं है। उसने पुलिस में कंप्लेंट दर्ज करवाकर प्यार से मिलवाने की अर्जी दी है।
रॉन्ग कॉल पर हुआ था प्यार
– शुक्रवार को एसपी हरदोई के थाने में प्यार की गुहार लगाने पहुंचे शादाब हुसैन अंसारी दिव्यांग हैं। महज 2 साल की उम्र में तेज बुखार ने इनकी आंखों की रोशनी छीन ली थी।
– शादाब बताते हैं, “दो साल पहले मेरे मैं महोबा निवासी अपने दोस्त को कॉल कर रहा था। गलती से कॉल किसी लड़की को लग गई। वहीं से हमारे बीच बातें शुरू हो गईं। मैंने उस लड़की को अपने अंधेपन और गरीबी के बारे में बता दिया था, इसके बावजूद वो मेरी फ्रेंड बन गई।”
“कुछ ही दिनों में हमारी दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। इन दिनों कॉलिंग तो फ्री ही रहती है। हम रात में 6-7 घंटे तो दिन में 1-2 घंटे तक बातें करते थे।”
ऐसे आया लव स्टोरी में यू-टर्न
– शादाब बताते हैं, “हमारे बीच सब अच्छा चल रहा था। एक महीने पहले उसने अपना नंबर चेंज किया और मुझसे बात करना बंद कर दिया। उससे कुछ देर बात नहीं हुई तो मैं बेचैन हो गया। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूं।”
– शादाब हरदोई से 250 किलोमीटर दूर लोगों की मदद से महोबा जा पहुंचा। वहां उसने महोबा कोतवाली के इंस्पेक्टर से न्याय की गुहार लगाई। शुरुआत में इंस्पेक्टर ने इश्क़ के इस ड्रामे को हंसते हुए टाल दिया। शादाब के रिक्वेस्ट करने पर वहां तैनात कॉन्स्टेबल ने लड़की की सहेली का नंबर डायल कर दिया।
– सहेली ने भी शादाब को वहां से चले जाने और भूल जाने के लिए कहा।
पुलिस दे रही है काउंसलिंग
– शादाब महोबा से लौट आया है, लेकिन उस लड़की को पाने की चाहत खत्म नहीं हुई है। वो मोबाइल नंबर की मदद से लड़की का आधार नंबर निकलवा चुका है।
– कई बार एसपी और एएसपी से न्याय की गुहार लगा चुका है।
– एसपी विपिन मिश्रा ने बताया, “यह एक इमोशनल केस है। हमारे डिपार्टमेंट के कई अफसरों उसे समझाने की कोशिश कर रहे हैं। उसे बताया जा रहा है कि इस प्रकार किसी लड़की का पीछा करना कानूनन जुर्म है। इसकी काउंसलिंग भी करवाई जाएगी।”
घरवालों ने छीना फोन, तो कर दी थी पुलिस कंप्लेंट
– शादाब 100 परसेंट ब्लाइंड हैं। 10 अक्टूबर 2011 को मोहल्ले वालों ने शादाब पर लड़कियों से मोबाइल पर बात करने का आरोप लगाया था। शिकायत के बाद फैमिली ने उससे फोन छीन लिया था।
– मोबाइल ही एक सहारा था जिससे शादाब का दिन कटता था। उसने परेशान होकर परिजनों के खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट कर दी थी।
– पुलिस द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद शादाब को फोन तो वापिस मिल गया, लेकिन उसे घर से निकाल दिया गया। कुछ दिन भूख से तड़पते हुए घूमने के बाद शादाब ने फिर से पुलिस की मदद मांगी थी। पुलिस वालों ने समझौता करवाकर उसे घर में दोबारा जगह दिलाई थी।