उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में तकरीबन 300 मदरसों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की गाज गिर सकते हैं। ऐसा इस वजह से क्योंकि ये मदरसे प्रदेश सरकार के नियमों पर अभी भी खरे नहीं उतर पा रहे हैं। ये मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। कुछ मदरसे तो अपने दिए गए पते पर मौजूद ही नहीं हैं, जबकि कुछ जगहों पर मदरसों के नाम पर निजी स्कूल धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं। ये सारी बातें राज्य सरकार को तब पता लगीं, जब वह समूचे जिले के 675 मदरसों के सत्यापन की प्रक्रिया से गुजरी। योगी सरकार के मानकों पर खरा साबित न होने के कारण यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड से इन सभी की मान्यता छीनी जा सकती है। इन मदरसों का सत्यापन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (डीएमडब्ल्यूओ) ने बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड की गई जानकारियों के आधार पर किया था।
आजमगढ़ डीएमडब्ल्यूओ साहित्य निकाश सिंह ने कहा कि इस संबंध में सितंबर 2017 में शुरू की गई जांच में पता लगा कि 304 मदरसों ने अपने बारे में वेबसाइट पर गलत जानकारियां दी थीं। सिंह के मुताबिक, उन्होंने लखनऊ स्थित बोर्ड के दफ्तर में मंगलवार (13 मार्च) को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें उन्हीं 304 मदरसों की मान्यता रद्द करने के लिए कहा गया है। ये सभी मदरसे बोर्ड के मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
बता दें कि मदरसों में अनियमितताओं को जांचने-परखने के लिए राज्य सरकार ने बीते साल अगस्त में यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड की वेबसाइट शुरू की थी। योगी सरकार ने इस पर मदरसों से अपने कमरों और परिसर की तस्वीरें अपलोड करने, शिक्षकों-कर्मचारियों की संख्या, उनके आधार कार्ड नंबर व बैंक खाते सरीखी जानकारियां मांगी थीं, ताकि व्यवस्था में पारदर्शिता लाई जा सके। बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने इस संबंध में कहा कि राज्य स्तर पर कुल 18,225 मदरसों का सत्यापन किया गया था।