Friday, April 25, 2025
featuredउत्तर प्रदेश

यूपी: श्री श्री पहुंचे अयोध्या, आदित्यनाथ बोले- बातचीत में देर हो गई…

SI News Today

अयोध्या: राम मंदिर मुद्दे को कोर्ट के बाहर सुलझाने के लिए श्री श्री रविशंकर गुरुवार को लखनऊ से अयोध्या पहुंचे। यहां वे हिंदू- मुस्लिम पक्षकारों से बात करेंगे। इससे पहले उनकी इस कोशिश को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को योगी आदित्यनाथ ने कहा- सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है। इसलिए बातचीत का मतलब मुझे समझ में नहीं आता है। उन्होंने कहा कि उनसे (श्री श्री) मुलाकात शिष्टाचार के तौर पर हुई थी। बता दें कि बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए रविशंकर मध्यस्थता कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी समेत कई लोगों ने उनकी मध्यस्थता को लेकर सवाल उठाए हैं।

– सीएम आदित्यनाथ ने कहा- ” श्री श्री रविशंकर को लखनऊ आना था, इसलिए मेरे पास उनका आना हुआ। 5 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। बातचीत से समाधान होना था तो बहुत पहले हो चुका होता। फिर भी संभावना है तो कोई बुराई नहीं। सरकार इसमें कोई पक्ष नहीं है। सरकार अपनी तरफ से फिलहाल कोई पहल नहीं करेगी, जबकि केस सुप्रीम कोर्ट में है।”

श्री श्री रविशंकर रामलला के दर्शन के बाद पक्षकारों से मिलेंगे
– अयोध्या पहुंचने के बाद श्री श्री रविशंकर रामलला के दर्शन करेंगे। इसके बाद वे मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी और हाजी महबूब से मिलने जाएंगे। इन लोगों से मिलने के बाद रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास से मिलेंगे, राम विलास दास वेदांती और दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास के साथ महंत ज्ञानदास से भी मिलेंगे।

– रविशंकर निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेन्द्र दास और अखाड़े के पंचों से मुलाकात करेंगे। शाम 4 बजे श्री श्री एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे।

अयोध्या विवाद में कौन-कौन से पक्ष हैं ?
– निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड।

तीनों पक्षों का दावा क्या है ?
– निर्मोही अखाड़ा: गर्भगृह में विराजमान रामलला की पूजा और व्यवस्था निर्मोही अखाड़ा शुरू से करता रहा है। लिहाजा, वह स्थान उसे सौंप दिया जाए।

– रामलला विराजमान: रामलला विराजमान का दावा है कि वह रामलला के करीबी मित्र हैं। चूंकि भगवान राम अभी बाल रूप में हैं, इसलिए उनकी सेवा करने के लिए वह स्थान रामलला विराजमान पक्ष को दिया जाए, जहां रामलला विराजमान हैं।

– सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड:सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि वहां बाबरी मस्जिद थी। मुस्लिम वहां नमाज पढ़ते रहे हैं। इसलिए वह स्थान मस्जिद होने के नाते उनको सौंप दिया जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
– 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।

– बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।

मध्यस्थता पर अब तक क्या हुआ?
– अक्टूबर में निर्मोही अखाड़ा, शिया वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नुमाइंदों ने बेंगलुरु में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी।

– शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस मुलाकात के बाद कहा था- “पूरा देश श्रीश्री का सम्मान करता है। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मसला सुलझ जाएगा। देश हित में इस मसले को सुलझाने के लिए अगर श्री श्री सामने आए हैं तो हमने उनका स्वागत किया है। हमने इस मसले से जुड़ी सारी चीजें उनको मुहैया करवाई हैं।”

– बाबरी एक्शन कमेटी: श्री श्री के दखल की खबरों का खंडन किया, लेकिन कहा अगर श्री श्री मध्यस्थता करते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, हम इसका स्वागत करेंगे।

– सुप्रीम कोर्ट:मार्च में इस मामले की सुनवाई के दौरान तब चीफ जस्टिस रहे जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा था कि यह मुद्दा सेंसिटिव और सेंटिमेंटल है। सभी पक्ष इस मसले को सुलझाने की नई कोशिशों के लिए मध्यस्थ को चुन लें। अगर जरूरत पड़ी तो हम एक प्रिंसिपल मीडिएटर चुन सकते हैं।

– सुब्रमण्यम स्वामी: स्वामी ने SC से जल्द सुनवाई की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मुझे सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता करने का अधिकार दिया था और इस मामले का जल्द से जल्द फैसला हो जाना चाहिए।

– निर्मोही अखाड़ा: महंत रामदास ने कहा था कि इस मामले में बातचीत संवैधानिक दायरे के भीतर होनी चाहिए, इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।

– सुन्नी वक्फ बोर्ड:बोर्ड ने कहा था, “स्वामी की पार्टी का इस केस में इंट्रेस्ट है। किसी ऐसे शख्स से बातचीत कैसे की जा सकती है, जो खुद केस में पार्टी हो? बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट रिटायर्ड या सर्विंग जज का एक पैनल बनाए,जो बातचीत की पहल करे। इस दौरान पहले हुई वार्ताओं को भी ध्यान में रखा जाए।”

– इकबाल अंसारी: केस के वादी हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। सुब्रमण्यम स्वामी जैसे राजनीतिक लोगों का शामिल होना, बातचीत को गलत दिशा में ले जाएगा।” बता दें कि हाशिम अंसारी का 20 जुलाई 2016 को निधन हो गया था। उनकी जगह अब बेटे इकबाल अंसारी वादी हैं।

शिया वक्फ बोर्ड में दो फाड़
– बातचीत से राम मंदिर विवाद के हल को लेकर शिया वक्फ बोर्ड में दो फाड़ होती दिख रही है। इसके एक गुट ने रविशंकर की पहल का विरोध किया है। इसके पहले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने आपसी सुलह से मंदिर बनाने का समर्थन किया। लेकिन ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने बातचीत की कोशिशों को नकार चुके मुस्लिम लॉ बोर्ड के साथ जाने का फैसला किया है।

– शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ”अयोध्या विवाद पर हमारी कम्युनिटी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं। हमें कोई ऐसा फॉर्मूला मंजूर नहीं है जिससे यह संदेश जाए कि मुस्लिम पक्ष ने सरेंडर कर दिया। हम सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे।

– शिया बोर्ड के प्रेसिडेंट और मुस्लिम लॉ बोर्ड के मेंबर, मौलाना जहीर अब्बास रिजवी ने कहा, ”राम मंदिर विवाद पर सरेंडर करने का सवाल ही नहीं उठता। फिलहाल जिस फॉर्मूले पर समझौते की बात चल रही है, उससे साफ है कि कुछ लोग चाहते हैं मुस्लिम सरेंडर कर दें। कुछ लोग कौम के नाम पर राजनीति करने में लगे हैं।”

SI News Today

Leave a Reply