इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने निचली अदालत के 30 अप्रैल, 2010 के आदेश को चुनौती दी थी. निचली अदालत ने अपने आदेश में जाकिर नाइक को समन जारी किया था और इसके बाद उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.
इससे पूर्व, 6 जून, 2011 को याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि सूचीबद्धता की अगली तिथि तक आवेदक के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा 30 अप्रैल, 2010 को पारित आदेश के आधार पर कोई बलयुक्त कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
न्यायमूर्ति अमर सिंह चौहान ने जाकिर अब्दुल करीम नाईक द्वारा दायर याचिका पर 28 मार्च, 2018 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था . जाकिर नाइक इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का अध्यक्ष है. उल्लेखनीय है कि मुदस्सिर उल्लाह खान नाम के एक व्यक्ति ने 9 जनवरी, 2008 को झांसी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने आरोप लगाया था कि 21 जनवरी, 2006 को एक टीवी कार्यक्रम में जाकिर नाइक ने एक खास समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी.
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मुदस्सर खान ने 9 जनवरी 2008 को जिला कोर्ट में जाकिर नाइक के खिलाफ IPC की धारा 109, 115, 121 समेत कई धाराओं के तहत मामले दर्ज करने की अपील की थी. मुदस्सर खान ने जाकिर खान द्वारा संचालित ‘पीस टीवी’ के कार्यक्रमों को लेकर आपत्ति जताई थी. मुदस्सर खान ने अपनी याचिका में कहा था कि जाकिर खान अपने भाषणों से लोगों को भड़काते हैं. उनका भाषण सुनकर मुस्लिम युवक गलत रास्ता अपना रहे हैं, और वे आतंकवाद की तरफ अग्रसर हो रहे हैं. झांसी जिला कोर्ट ने अर्जी को मंजूर करते हुए जाकिर नाइक के खिलाफ कई समन जारी किए थे. बार-बार समन जारी करने के बावजूद जाकिर नाइक कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो 2011 में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया. गिरफ्तारी की तलवार लटकने पर जाकिर नाइक ने मई 2011 में गैर जमानती वारंट की वैधता को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी थी तत्काल राहत
मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने याचिकाकर्ता मुदस्सर खान से तीन हफ्तों के भीतर सबूत पेश करने को कहा था. सबूत पेश करने तक जाकिर नाइक के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी गई थी. आरोप है कि कोर्ट के उस फैसले के बाद मुदस्सर खान पर कई तरह के दबाव बनाए गए और केस वापस लेने की धमकी दी गई. किसी भी वजह से मुदस्सर खान ने मामले में पैरवी करनी बंद कर दी. मुदस्सर खान जब कोर्ट के सामने सबूत लेकर नहीं पहुंचे और पैरवी के लिए आगे नहीं आए तो हाईकोर्ट से मिली तत्काल राहत लगातार बरकरार रही.
फिलहाल जाकिर खान देश से फरार
पिछले दिनों जाकिर खान के खिलाफ जब फिर से आवाज उठने लगी और पीस टीवी को बैन कर दिया गया तो मुदस्सर खान ने फिर से कोर्ट में अर्जी दाखिल की. बीते 6-7 सालों में उन्होंने जाकिर नाइक के खिलाफ तमाम सबूत इकट्ठा किए. सबूत इकट्ठा कर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से गैर जमानती वारंट पर लगी रोक की सुनवाई फिर से करने की मांग की. हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार करते हुए 22 मार्च को गैर जमानती वारंट पर लगी रोक हटा ली थी. अदालत से आने वाले फैसले से तय होगा कि जाकिर नाइक को हाईकोर्ट से राहत मिलेगी या फिर भारत आने पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.