दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों को निशाने पर लेते हुए शनिवार को कहा कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उनकी उत्पादन लागत के डेढ़़ गुना पर तय करने की बजट घोषणा को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. उन्होंने किसानों को भरोसा दिया कि समर्थन मूल्य की घोषणा करते समय सभी प्रमुख लागतों को इसमें शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बारे में पहले से ही राज्य सरकारों के साथ काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का किसानों को पूरा लाभ मिले.
कृषि उन्नति मेला- 2018 में शामिल हुए पीएम
प्रधानमंत्री शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) मेला ग्राउंड में आयोजित तीन दिवसीय कृषि उन्नति मेला- 2018 में बोल रहे थे. उन्होंने इस अवसर पर प्रदूषण कम करने के लिए किसानों से खेतों में फसलों के बचे डंठल और पराली नहीं जलाने की भी अपील की. मोदी ने किसानों से कहा कि खाद्य तेलों की आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा तिलहन की पैदावार करनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने यूरिया खपत को भी 2022 तक घटाकर आधा करने पर जोर दिया.
‘कई लोग निराशा का माहौल बना रहे हैं’
उन्होंने कहा कि 2018- 19 के बजट में सरकार ने किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने का फैसला किया है.‘‘ यह फैसला किया गया है कि सभी अधिसूचित फसलों का एमएसपी उनपर आने वाली लागत का कम से कम डेढ़ गुना होना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के एमएसपी फैसले के बारे में ‘‘कई लोग भ्रम फैला रहे हैं और निराशा का माहौल बना रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि फसलों की उत्पादन लागत तय करते हुये उसमें श्रमिक लागत, मशीनों, पशुओं, उर्वरक, बीज पर आने वाला खर्च, राज्य सरकारों को दिया जाने वाला राजस्व, कार्यशील पूंजी पर ब्याज और पट्टे की जमीन का किराया आदि शामिल किया जायेगा.
मोदी ने कहा कि सरकार कृषि विपणन को मजबूत बनाने के लिये बड़े पैमाने पर काम कर रही है. किसानों की आय बढ़ाने के लिये ग्रामीण मंडियों को एपीएमसी थोक मंडियों को वैश्विक बाजारों से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं. हाल में पेश बजट में ग्रामीण खुदरा कृषि बाजार का प्रस्ताव किया गया है. 22,000 ग्रामीण हाट को जरूरी ढांचागत सुविधाओं के साथ उन्नत बनाने और उन्हें कृषि उपज विपणन समिति( एपीएमसी) तथा ई- नाम प्लेटफार्म के साथ जोड़ने की घोषणा की गई है.