पाकिस्तान में व्यापार वीजा पर आए चीन के दो नागरिकों की हत्या के बाद पाक ने कहा है कि वह चीन के नागरिकों के लिए वर्तमान की उदार नीति में कमियों को दूर करने के लिए अपनी वीजा नीति की समीक्षा करेगा। गृह मंत्रालय ने कल एक बयान जारी करके बताया कि चीन के नागरिकों के लिए व्यापार और कार्य वीजा देने की स्थितियों और जरूरतों की समीक्षा की जाएगी। गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान को बताया गया था कि जिन चीनी नागरिकों की हत्या की गई है वे पादरी थे और उस दल का हिस्सा थे जो व्यापार वीजा पर पाकिस्तान आए थे। इसके बाद यह निर्णय लिया गया है।
चीन के नागरिकों ली जिंग यांग 24 और मेंग ली सी 26 का बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा में 24 मई को अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर हत्या कर दी थी। आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने इन हत्याओं की जिम्मेदारी ली है।
गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘‘यह निर्णय वीजा प्रक्रिया में पारर्दिशता सुनिश्चित करने के साथ ही दोनों देशों के बीच जो वीजा अनुकूल माहौल है उसके दुरूपयोग को रोकने के लिए किया गया है।’’
अधिकारियों के अनुसार चीन के जिन नागरिकों की हत्या की गई है वे व्यापार वीजा का दुरूपयोग कर रहे थे। खान ने कहा कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़े कामगारों के बारे में सूचनाओं को साझा करने के साथ ही देश में आने वाले अन्य चीनी नागरिकों के बारे में जानकारी देने वाले एक व्यापक तंत्र लागू किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान और ईरान के बीच दरार पैदा नहीं कर पाएगा भारत
दूसरी ओर पाकिस्तान द्वारा एक ईरानी ‘जासूसी’ ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद चीन के एक विशेषज्ञ ने कहा है कि ‘भारत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ (सीपीईसी) का हव्वा खड़ा करके ईरान और इस्लामाबाद के बीच दरार पैदा नहीं कर सकते। बीते 19 जून को एक ईरानी ड्रोन को पाकिस्तानी वायुसेना के जेएफ-17 थंडर जेट ने मार गिराया था। यह जेट चीन निर्मित है।
पाकिस्तानी विदेश विभाग ने मीडिया को बताया कि ईरानी ड्रोन जासूसी मिशन पर था और पाकिस्तान की हवाई सीमा में बहुत अंदर तक आ गया था। इसके बाद उसे मार गिराया गया। ईरान और पाकिस्तान के बीच संबंधों के तनाव के बारे में चीन चिंतित है क्योंकि उसे लगता है कि इससे सीईपीसी पर असर पड़ेगा। सीपीईसी परियोजना चीन के शिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगी। ग्वादर ईरानी सीमा के निकट है।
बहरहाल, एक चीनी विशेषज्ञ ने इस बात पर जोर दिया कि ईरानी ड्रोन को मार गिराने से दोनों देशों का संबंध प्रभावित नहीं होगा। ईरान में चीन के राजदूत रह चुके हुआ लिमिंग ने कहा, ‘‘भारत 50 अरब डॉलर की सीपीईसी परियोजना का हव्वा खड़ा करके ईरान और पाकिस्तान के बीच दरार पैदा करने में सफल नहीं होगा।’’
हुआ ने कहा कि ईरान और पाकिस्तान पड़ोसी देश हैं और उनके संबंधों में बहुत सारी समस्याएं नहीं रही हैं, लेकिन भारत ईरान को यह मनवाने का प्रयास कर रहा है कि सीपीईसी और खासकर ग्वादर बंदरगाह के निर्माण से उसके हितों को नुकसान पहुंचेगा।