अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज के 805वें सालाना उर्स के मौके पर पाकिस्तान से आये जायरीनों ने पाकिस्तान सरकार की ओर से सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार पर सितारों से जड़ी मखमली चादर पेश की. इसी पाक जत्थे में शामिल मोहम्मद सज्जाद कुरैशी ने पाकिस्तानी जनता की ओर से 25 किलोग्राम वजनी ताज ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर पेश किया. जबकि जत्थे में शामिल अन्य पाक जायरीनों की ओर से सौ से ज्यादा चादरें ख्वाजा की खिदमत में पेश की गईं.
राजस्थान के अजमेर में 402 पाक जायरीन शनिवार सुबह उर्स स्पेशल ट्रेन में दिल्ली से अजमेर पहुंचे, जिन्हें प्रशासन की ओर से नया बाजार स्थित सेन्टर गर्ल्स स्कूल में ठहराया गया. जहां कुछ घंटे विश्राम के बाद पाक जायरीनों ने चादरों का जुलूस निकला. सबसे आगे पाकिस्तान हुकुमत की ओर से लाई गई मखमली चादर थी. इस चादर के पीछे पाक आवाम की ओर से लाया गया 25 किलोग्राम का वजनी और सुन्दर ताज को रावल पिंडी के मोहम्मद सज्जाद कुरैशी सिर पर उठाए हुए थे. इनके पीछे पाक जायरीन की सौ से ज्यादा चादरें थीं.
पाकिस्तानी जायरीन हाजी मोहमद सिद्दीकी ने बताया कि यह हमारे लिए बड़ी राहत की बात है की अल्लाह ताला ने हमें यह शहादत बख्शी कि ख्वाजा साहब की दर पर हाजरी लगी. इसके लिए हम जितना भी शुक्रिया अदा करें वो काम है. अजमेर आने के बाद रूहानी एहसास हो रहा है. सोचा नहीं था कभी ख्वाजा के दर पर हाजरी होगी. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं और मिलजुल कर रहना चाहते हैं. उन्होंने दोनों मुल्कों की हुकूमतों से आपस में मिलजुल कर भाईचारा बढ़ाने की अपील की.
पाक जायरीन मनवर हुसैन ने कहा कि ख्वाजा के दर पर आकर बहुत अच्छा लगा. हम यहां आकर दंग रह गए की इंसानियत कितनी प्यारी होती है. पाकिस्तान के लोग बहुत चाहत रखते की हम अजमेर शरीफ जाए. मैं आज दूसरी बार आया हूं और पहली बार तीस पहले आया था. उस समय में और आज में बहुत फर्क है. हिंदुस्तान ने बहुत सही काम किया हुआ है. यहां आकर दिल को बड़ा रूहानी सुकून मिलता है.
पिछले कुछ सालों से भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव की वजह से पाक जायरीनों का जत्था ख्वाजा साहब की दरगाह पर नहीं आ पा रहा था. इस बार भी सीमा पर हालात बहुत बेहतर नहीं हैं लेकिन पाक जायरीनों का भारी-भरकम लावजमा अजमेर पहुंचा. सीमा पर तनाव के मद्देनजर इनकी सुरक्षा काफी चाक-चौबंद रखी गई है. पुलिस की सुरक्षा में इन्हें दरगाह शरीफ ले जाया गया और वापस लाया गया.