उसकी मौत के एक साल बाद भी सरकार और सुरक्षा एजेंसियां आज भी बुरहान वानी से डरती हैं। ऐसा कहना है साल 2016 के एनकाउंटर में मारे हिजबुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी का। बुरहान की पहली बरसी पर पिता मुजफ्फर ने दक्षिणी कश्मीर में स्थित अपने आवास त्राल में मिरर से बातचीत में कहा, ‘मेरा बेटा मर चुका है। मगर राज्य सरकार और पुलिस आज भी उससे भयभीत हैं। उन्होंने बुरहान की बरसी पर अवाम शामिल ना हो इसके लिए कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन लोग मेरे घर आएंगे। जहां उन सबका स्वागत किया जाएगा। मैं बेटे की बरसी में शामिल होने के लिए उन्हें मना नहीं कर सकता।’ उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कश्मीर में सुरक्षित हैं लेकिन कश्मीरी अवाम भारत में सुरक्षित नहीं है। कश्मीर में अबतक बहुत खून बह चुका है। खुद मेरे दो बेटे बहुत कम उम्र में इस खून खराबे में मारे गए। हिंसा हमारी आजादी की भावनाओं को दबा नहीं सकेगी। इंसाफ के जंग लगातार चलती रहेगी।
बता दें कि हुर्रियत और आतंकवादियों ने बुरहान वानी की पहली बरसी बड़े पैमाने पर मनाने की घोषणा की है। वहीं हाल ही में अमेरिका द्वारा वैश्विक आंतकी घोषित किए गए हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सैयद सलाउद्दीन ने 8 जुलाई से 13 जुलाई तक एक सप्ताह लबें प्रदर्शन का ऐलान किया है। जानकारी के लिए बता दें कि बुरहान की मौत के बाद घाटी में बड़े में पैमाने पर हिंसक घटनाएं घटी। नई उम्र के आतंकी पैदा हुए, जोकि शिक्षित थे और तेजी से आंतकी संगठनों में शामिल हो होने लगे। ये जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले से हैं। कश्मीर घाटी में विद्रोह के बाद गायब हुए 118 युवाओं में से अबतक करीब 90 लोग आंतकी संगठन में शामिल हो चुके हैं। वहीं बुरहान की मौत के बाद से अबतक 90 से ज्यादा लोगों को कश्मीर में अपनी जान गंवानी पड़ी हैं जबकि हजारों की तादाद में कश्मीर इन हिंसक झड़पों में घायल हुए हैं।