भारत सरकार ने नागरिकों के लिए यमन की यात्रा पर रोक लगा दी है। केरल के अपहृत कैथोलिक पादरी टॉम के सकुशल भारत वापस लौटने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। टॉम केा 4 मार्च, 2016 को एक आतंकी हमले में अगवा कर लिया गया था। उन्हें 12 सितंबर, 2017 को आईएस के चंगुल से छुड़ाकर ओमान लाया गया था। जिसके बाद 28 सितंबर को वह भारत लौटे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की। फादर टॉम ने 2015 में सरकार के सुरक्षा एडवायजरी के बावजूद यमन की यात्रा की थी।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अपने आदेश में कहा है, ”जन हित में ऐसा करना जरूरी है, इसलिए यह निर्देश दिए जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज यमन की यात्रा के लिए अवैध है क्योंकि यमन की यात्रा से भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की प्रक्रिया प्रभावित होगी। कोई भी भारतीय नागरिक जो इस नोटिफिकेशन की अवहेलना कर यमन की यात्रा करता है, उसपर कार्रवाई की जाएगी।”
अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए यमन की यात्रा पर पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है, इसके अलावा वहां से अमेरिका आने पर भी पाबंदी है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के मुताबिक, दो साल से ज्यादा समय से छिड़े यमन के गृह युद्ध में अब तक 10,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं, जिनमें अधिकांश नागरिक हैं और तीस लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
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यमन में सरकारी सुरक्षा बलों और हौती विद्रोहियों के बीच पिछले दो साल से संघर्ष चल रहा है। यमन की सरकार को जहां अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है, वहीं शिया हौती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है। यूनीसेफ ने मार्च 2017 में युद्ध में अब तक 1,546 बच्चों की मौत होने और 2,450 अन्य के घायल होने की जानकारी दी थी।