British laws still used in India.
#India #BritishIndianLaw #BritishRules #IndianLaw
अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 सालों के शासन किया और वहीँ इस दौरान हमारे देश को अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से चलाने के लिए कई कानून बनाये. अंग्रजों के ज़माने के बनाये कई कानून और व्यवस्थाएं आज भी हमारे देश में प्रचलित हैं और ये व्यवस्थाएं हमारे देश में इतने भीतर तक समा गई हैं कि हम में से कई भारतीय आज तक नही जानते कि कौन से कानून हमारे देश में आज भी लागू जो कि अंग्रोजों ने हमारे देश के लोगों का दमन करने के लिए बनाये थे.
1847 में सर हैरी बर्नेट ने आधिकारिक तौर पर खाकी वर्दी के चलन को लाया. खाक शब्द का मतलब धूल, पृथ्वी, और राख होता है जिसका मतलब यह होता है कि इसे पहनने वाला अपनी सेवा के लिए खाक में मिलने को तैयार है. ज्ञातव्य है कि भारतीय पुलिस की आधिकारिक वर्दी का रंग आज भी खाकी ही बना हुआ है.
1800 के दशक में भारत में अंग्रेजों ने बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था शुरू की थी. हम आज भी सड़क पर बाएं हाथ पर गाड़ियाँ, पैदल चलते हैं जबकि पूरी दुनिया के 90 % देशों में दाये हाथ पर चलने की व्यवस्था है. भारत में आज भी ब्रिटेन की तरह ही बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था लागू है.
नमक सत्याग्रह बच्चे-बच्चे को मालूम है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में आज भी साल्ट उपकर अधिनियम, 1953 के आधार पर “नमक कर” लगाया जाता है?? इस कर को एक विशेष प्रशासनिक खर्च के लिए उपकार के रूप में लगाया जाता है. जिसका दर 14 पैसे/40 किलोग्राम है. इस कर निजी या राज्य के स्वामित्व वाले नमक कारखानों पर लगाया जाता है. साल 2013-14 में इस कर के माध्यम से सरकार को $538,000 प्राप्त हुए थे. जो कि इसे इकट्ठा करने की लागत का लगभग आधा था. 1978 में इसकी कर संग्रह लागत को देखते हुए इसे स्थापित साल्ट जांच समिति ने ख़त्म करने की सिफरिस की थी लेकिन अभी कोई निर्णय नही हुआ है.
भारतीय पुलिस अधिनियम,1861 को अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह या आजादी की पहली लड़ाई के बाद बनाया था. इस एक्ट के अंतर्गत सारी शक्तियां राज्य के हाथ में केन्द्रित थी. जो कि एक तानाशाह सरकार की तरह काम करता था. वहीँ आज भी भारत के ज्यादातर राज्यों में यह कानून आज भी लागू है . हालांकि महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने अपने स्वयं के पुलिस अधिनियम पारित कर लिए हैं लेकिन इनका अधिनियम भी भारतीय पुलिस अधिनियम,1861 के आस पास ही घूमता नजर आता है.
1872 में भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था. यह अधिनियम इस बात के बारे में बताता है कि कोर्ट में कौन-कौन सी चीजें साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती हैं और इन सभी सबूतों और गवाहों की लिस्ट को कोर्ट के सामने पहले से ही बताना पड़ता है. वहीँ यह अधिनियम 144 साल बाद आज भी छोटे मोटे संशोधनों के साथ अपने मूल रूप में भारतीय न्याय व्यवस्था में अहम् रोल निभा रहा है.
आयकर अधिनियम,1961 के तहत भारत में आयकर लगाया जाता है जो कि कर को लगाने, वसूलने, और कर ढांचे के बारे में दिशा निर्देशों को जारी करने का काम करता है. हालांकि सरकार ने प्रत्यक्ष कर संहिता लाकर आयकर अधिनियम, 1961 के साथ-साथ संपत्ति कर अधिनियम, 1957 (Wealth Tax Act, 1957) को भी हटाने का मन बना लिया था लेकिन संपत्ति कर के हटने के बाद विचार बदल दिया.
वही आयकर अधिनियम,1961 की धारा 13A की वजह से देश में बहुत विवाद है. यह अधिनियम सभी राजनीतिक दलों की आय पर कर लगाने की बात करता है साथ ही जो भी पार्टी रु.10000/व्यक्ति से अधिक का चंदा लेती है उसको अपनी आय का स्रोत बताना होगा . लेकिन पार्टियाँ कहतीं है कि उन्हें जितना भी चंदा मिला है वह सभी रु.10000 से कम का ही था इसलिये उन्हें अपनी आय का स्रोत बताना जरूरी नही है.
विदेशी अधिनियम,1946 एक्ट को भारत के स्वतंत्र होने से पहले अधिनियमित किया गया था. यह अधिनियम किसी भी ऐसे व्यक्ति को विदेशी बताता है जो कि भारत का नागरिक नही है. कोई व्यक्ति विदेशी है या नही इस बात को सिद्ध करने की जिम्मेदारी भी उसी व्यक्ति है. अगर किसी भारतीय को किसी बाहरी व्यक्ति के बारे में कोई शक है कि यह (विदेशी) बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश कर चुका है या भारत में ठहरने की अधिकृत अवधि से भी ज्यादा समय से भारत में रह रहा/ रही है तो उस भारतीय व्यक्ति का यह कर्तब्य बनता है कि वह 24 घंटे के अन्दर उस अनधिकृत व्यक्ति में बारे में नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करे .
1 जुलाई, 1882 को संपत्ति स्थानांतरण अधिनियम,1882 एक भारतीय कानून है जो कि भारत में संपत्ति के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है. यह अधिनियम संपत्ति स्थानांतरण के संबंध में विशिष्ट प्रावधानों और शर्तों के बारे में बताता है.
अधिनियम के अनुसार, संपत्ति के हस्तांतरण का मतलब यह है कि एक व्यक्ति अपनी संपत्ति को एक या एक से अधिक व्यक्तियों, स्वयं को दे देता है. हस्तांतरण का कार्य वर्तमान में या भविष्य के लिए किया जा सकता है. हस्तांतरण करने वालों में एक व्यक्ति, कंपनी या संस्था या व्यक्तियों का समूह शामिल हो सकता है और इसमें किसी भी तरह की संपत्ति शामिल हो सकती है. इसमें अचल संपत्ति को भी स्थानांतरित किया जा सकता है.
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में साल 1862 में लागू हुई थी. भारतीय दंड संहिता का मसौदा भारत के प्रथम विधि आयोग की सिफारिशों पर 1860 में तैयार किया गया था. भारत में प्रथम विधि आयोग की स्थापना 1833 के चार्टर एक्ट के अंतर्गत थॉमस मैकाले की अध्यक्षता में की गई थी.
Indian Penal Code, IPC (भारतीय दण्ड संहिता) भारत के अन्दर जम्मू और काश्मीर और भारतीय सेना को छोडकर किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दण्ड का प्रावधान करती है.वहीँ जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता (RPC) लागू होती है.