For these reasons, Imran Khan, in the strongest position, know ...
पाकिस्तान में 4 दिन बाद संघ और प्रांतों के चुनाव होने हैं. इस बार चुनाव में पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) चीफ इमरान खान का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. पाकिस्तान की विश्व विजेता क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके इमरान खान की स्थिति इस बार के आम चुनाव में सबसे मजबूत मानी जा रही है. हालांकि इस स्थिति तक पहुंचने में उन्हें 22 साल का समय लग गया. वैसे चुनावी जीत के लिए अपने प्रचार अभियान में वह जिस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे उनके ‘फेयर गेम’ को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इमरान खान 1996 में पहली बार राजनीति में उतरे थे. इसके एक साल बाद हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) कोई भी सीट नहीं जीत सकी थी. 2002 के चुनाव में भी उनकी पार्टी की हालत पतली ही रही. इमरान सिर्फ अपनी ही सीट जीत सके. कोई बेहतर रणनीति न होने की वजह से उन्होंने 2008 के चुनाव में न उतरने का फैसला किया.
इसके बाद 2013 के चुनाव के लिए इमरान ने एक रणनीति के तहत काम किया. उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जमकर उछाला. यहीं नहीं, इमरान खान ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बॉर्डर एरिया में यूएस ड्रोन हमलों का विरोध भी किया, जिसके बाद वह राजनीतिक गलियारों में और चर्चा में आ गए. अब इमरान 2018 का चुनाव लड़ रहे हैं. एक जनसभा को संबोधित करते हुए इमरान ने कहा था, ‘ये पाकिस्तान में बदलाव लाने का एक अच्छा मौका है. ये ऐसा मौका है, जो आपको बार-बार नहीं मिलेगा.’ 8000 लोगों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने बताया था कि पाकिस्तान को किन चीजों में बदलाव की जरूरत है और क्यों?
इमरान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी (पीटीआई) 2013 के आम चुनावों में वोट प्रतिशत के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पीटीआई की सरकार भी बनी. लेकिन, इमरान इस प्रदर्शन से खुश नहीं थे, क्योंकि उन्हें इस चुनाव में सत्ता में पहुंचने की पूरी उम्मीद थी. राजनीति में इमरान खान की किस्मत तब चमकी, जब पाकिस्तान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को किसी भी तरह के सार्वजनिक पद के लिए अयोग्य करार दिया.
दरअसल, 2013 में प्रधानमंत्री बने नवाज शरीफ के परिवार का नाम ‘पनामा पेपर्स’ में सामने आने के बाद इमरान खान ने उनके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया था. नवाज शरीफ के खिलाफ उन्होंने सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ी. 2017 में इसी मामले के चलते शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिसके बाद नवाज ने इस्तीफा दे दिया. फिर इमरान खान का राजनीतिक करियर मेन स्ट्रीम में आने लगा. भ्रष्टाचार के केस में नवाज शरीफ को 10 साल की सजा सुनाई गई है. इमरान खान को नवाज़ शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार की जंग लड़ने का बड़ा फायदा मिला है. पाकिस्तान की महिलाओं और युवाओं का एक बड़ा हिस्सा अब उनके साथ जुड़ गया है. इस बार के चुनाव में इमरान के लिए एक अच्छी बात है कि निजी जिंदगी को छोड़ दें, तो उनके राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन पर कोई दाग नहीं है. ऐसे में वो अपने विपक्षियों से कुछ अलग खड़े होते हैं.
आम चुनाव से पहले हुए ज्यादातर सर्वे में इमरान खान सबसे आगे बताए जा रहे हैं. हालांकि, इन सर्वे में ये भी कहा गया है कि उनकी पार्टी अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकेगी. ऐसे में साफ है कि भले ही इमरान की पार्टी अकेले सरकार न बना पाए, लेकिन सरकार बनाने की दौड़ में शामिल जरूर है. वहीं, इमरान खान के साथ विवादों का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा. पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान को चुनाव प्रचार के दौरान अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से रोक दिया है. चुनाव आयोग ने इमरान की ओर से अभद्र शब्दों के इस्तेमाल पर गौर किया और उन्हें निर्देश दिया कि वे आयोग के सामने पेश हों.