Video Courtesy By- soundfan
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बहुत पहले 2004 में Don Cheadle अभिनीत एक हॉलीवुड फिल्म आयी थी HOTEL RWANDA जिसमें उन्होंने Paul Rusesabagina का दमदार किरदार निभाया था जो कि अफ्रीकी देश के रवांडा में एक होटल के मैनेजर थे। 1994 में इसी अफ़्रीकी देश में एक बहुत ही दुखद और मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना घटी थी जहाँ अल्पसंख्यक Tutsi समुदाय को वहां के अन्य बहुसंख्यक समुदाय हुतु ने नरसंहार शुरू कर दिया, जिसमें 8 लाख से ज्यादा लोगो को मार दिया गया। इस नरसंहार का कारण सिर्फ एक कल्पना थी, दरसल हुआ यूँ कि 6 अप्रेल 1994 को रवांडा के राष्ट्रपति हबयरिमाना और और बुरुंडी (अफ्रीका का एक देश) के राष्ट्रपति सिपराइन नटार्यामिरा को ले जाने वाले प्लेन पर हमला हुआ। इस हमले में कोई भी जीवित नहीं बचा। राष्ट्रपति हबयरिमाना Hutu समुदाय के थे। हुतु समुदाय के लोगों को लगा कि उनकी हत्या जानबूझ कर तुत्सी समुदाय के लोगों ने की है, जबकि अभी तक असली हमलावरों का पता कोई नहीं लगा सका है। इस कोरी कल्पना को लेकर ही वहां के दो समुदायों के बीच नरसंहार हुआ, हज़ारो महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाया गया लाखों लोगो को सरेआम क़त्ल कर दिया गया। पूरी दुनिया का दिल इस नरसंहार से दहल गया।
अब हम असल मुद्दे पर आते हैं कि यहाँ हमने एक फिल्म का उदाहरण क्यों दिया, क्यूंकि PM मोदी 23 जुलाई से 5 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रवांडा के अतिरिक्त अन्य अफ़्रीकी देश गए हैं। वो यहाँ इसलिए आये हैं ताकि यहां पर PM रंवाडा के लोगों के प्रति भारत का आभार व्यक्त कर सकें कि 1994 की हिंसा में यहां पर किसी भारतीय पर हमला नहीं हुआ। PM मोदी किगाली नरसंहार मेमोरियल भी जाएंगे साथ ही यहाँ कि रीति-रिवाज के मुताबिक मुलाक़ात पर गाय देने कि वजह से वो अपने साथ राष्ट्रपति पॉल कागामे को तोहफे में 200 गायें भी देंगे।
कहा जाता है कि नायकों को अक्सर फिल्मों में अवतारी बनाया जाता है, मगर क्या आपने सोचा उस छोटे से एक अकेले इंसान ने भले ही कुछ हज़ार लोगों की जान बचायी मगर अपनी जान की परवाह न करते हुए राष्ट्र धर्म निभाया। वही आज हम कारगिल दिवस मना रहे हैं। देश की सरहद पर हमारे देश के जवान कड़कती ठण्ड, बेइंतहां गर्मी और न जाने कौन सी गोली उनके सीने में लग जाय, इन सब की परवाह किये बगैर दुश्मन देशों से लोहा लेने में कभी पीछे नहीं रहे। आज हम इन्ही देशभक्तों की वजह से देश में आराम से रह पाते हैं। मगर क्या हमने उन लोगों से कोई सीख ली या फिर सिर्फ 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 ऑक्टूबर इन्ही सब दिनों में देशभक्ति या देश के नारे याद आते हैं।
देश के लिए अपने हिस्से का योगदान देना कब सीखेंगे? सिर्फ देश को जलाने या उससे छीनने का ही काम करते रहेंगे? कभी आरक्षण के नाम पर तो कभी हिन्दू-मुस्लिम राजनीती के नाम पर! यही हमारी देशभक्ति शेष रह गयी है क्या? जापान से भी सीखना चाहिए कि कैसे एक छोटा सा प्रायद्वीप इतना परमाणु विस्फोट, नुक्लिएर विस्फोट, बाढ़, आतंक और भूकंप को झेलता चला आया और आज तक किसी देश के आगे हाथ नहीं फैलाया। खुद से सक्षम हुआ और आज भारत समेत न जाने कितने देशों को Japan International Cooperation Agency उधार बांटता फिर रहा है।
शर्म आनी चाहिए हमें आपने आप पर और अपनी तथाकथित देशभक्ति पर, जो आरक्षण के लिए अपनी देश कि संपत्ति और आम जनता दोनों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं। बल्कि हम यही नहीं रुके हैं, आने वाले समय में भारत का इंडेक्स ग्रे से ऑरेंज हो जायेगा। जो कहते हैं कि – जिन्हे लगता है देश असुरक्षित लगे वो पाकिस्तान चले जाएँ, यानि इसका सीधा मतलब उनके मुताबिक ये हुआ कि पाकिस्तान अपने देश से ज्यादा सुरक्षित है? जैसे हम पूरी दुनिया हाल-चाल अपने टीवी और सोशल मीडिया से ले लेते हैं वैसे ही सारी दुनिया भी हमारा हाल-चाल ले रही है और शायद आप लोग भूल रहे हैं कि वो हमें देख और नोटिस भी कर रहे हैं कि हम क्या कर रहे हैं !
हम अपने आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जाने वाले हैं ये हमे निश्चय करना है- मुँहबोली देशभक्ति या जापान से बढ़कर सशक्त भारत !!
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