In the US the RSS worker said that Any threat to economic globalization will not happen
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अमेरिका में भारत केंद्रित थिंक टैंक फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी का कहना है कि संस्कृति व राष्ट्र की प्रासंगिकता एक वैश्वीकृत संसार में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती जा रही है। दरअसल उनका कहना था कि सही मायने में वैश्वीकरण होने के लिए परस्पर सम्मान, सहनशीलता, व स्वीकार्य करने की चेतना का होना बहुत जरूरी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय हसबोले ने मंगलवार को अमेरिकी नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्वीकरण में भारत का योगदान वेदांत के समय से ही है और संस्कृति व राष्ट्र और उनकी प्रासंगिकता एक वैश्वीकृत विश्व में सबसे ज्यादा है। इसी के आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि सही रूप में वैश्वीकरण होने के लिए यह सार्वभौमिक चेतना यानी कि सहनशीलता व सम्मान के साथ-साथ मजबूत मानव सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर स्वीकार करना है।
फिलहाल उनका बस इतना ही कहना था कि यदि इन चीजों को रेखांकित कर मजबूत बनाया जाए तो आर्थिक वैश्विकरण पर कोई खतरा नहीं रहेगा। वरना अगर इसी प्रकार का वैश्वीकरण होता रहेगा तो पुरातन काल से मानवता से हासिल की गई सभी चीजों को यह पूरी तरीके से खत्म कर देगा।
गौरतलब है कि इसके आगे उनका कहना था कि जब वैश्वीकरण का प्रवेश अर्थव्यवस्था एवं संचार तकनीक में कराया गया था तो ऐसा अनुमान था कि एक वैश्वीकृत जगत संस्कृति एवं राष्ट्रों की प्रासंगिकता को कमजोर कर देगा। वहीं उनका कहना था कि इस धारणा के चलते राष्ट्रों की प्रासंगिकता व संस्कृति की ताकत देखने के लायक है। बहरहाल आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जॉन्स हॉपकिन्स में साउथ एशिया स्टडीज के सीनियर एडजंक्ट प्रोफेसर वाल्टर एंडर्सन ने की थी।