Israeli army used to destroy the Palestine Liberation Organization, to eradicate genocide and rape.
#CrimeNews #IsraeliArmy #PalestineLiberationOrganization #Genocide
ये घटना 16 से 18 सितंबर 1982 की है जब लेबनान में इजरायली सेना ने फलस्तीन मुक्ति संगठन को जड़ से मिटाने के लिए लेबनानी मिलिशिया ने बेरूत के दो शरणार्थी कैंपों सबरा और शातिला में 3 दिनों तक लोगों पर अत्याचार किए, उन पर घातक हथियारों से हमले किये गए। कैंप की महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया और 3,500 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा गया। मरने वालों में ज्यादातर संख्या महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की थी। ये सभी फलस्तीनी और लेबनानी शिया समुदाय से थे। इस घटना के लिए लेबनान की प्रमुख कताएब पार्टी से संबंध रखने वाली मिलिशिया और इजरायली सेना को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेबनान की मुख्य रूप इस दक्षिणपंथी ईसाई पार्टी को फ़लान्जिस्ट नाम से भी जाना जाता है।
इस नरसंहार के कुछ समय पहले ही फलस्तीनी विद्रोहियों ने लेबनान के कताएब पार्टी से नव निर्वाचित राष्ट्रपति बचीर गेमायल और उनके 25 समर्थकों को बम धमाके द्वारा हत्या को अंजाम दे दिया था, जिसका बदला लेने के लिए फलस्तीनी शरणार्थियों के कैंप में इस कत्लेआम को अंजाम दिया गया था।
1983 में इजरायली इन्वेस्टिगेशन कमीशन (IIC) ने इजरायली नेताओं को इस नरसंहार के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार ठहराया था। कहा जाता है कि इस नरसंहार को अंजाम देने में इजरायल के तत्कालीन रक्षा मंत्री एरियल शैरॉन भी शामिल थे, जो कि बाद में इजरायल के प्रधानमंत्री भी बने। इजरायली इन्वेस्टिगेशन कमीशन (IIC) ने उन्हें नरसंहार को न रोक पाने के लिए निजी तौर पर जिम्मेदार बताया था।