चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोबारा पद संभालने के बाद मंगलवार को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में पहला भाषण दिया। इसमें जिनपिंग ने देश की स्वायत्ता को चुनौती देने वाली ताकतों पर कड़े तेवर अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि चीन दुनिया में अपनी सही जगह पाने के लिए खूनी लड़ाई लड़ने को भी तैयार है। अपने 30 मिनट लंबे भाषण में जिनपिंग ने कहा, “चीन के लोग और पूरे राष्ट्र की यही धारणा है कि कोई भी हमसे हमारी एक इंच जमीन नहीं छीन सकता बता दें कि चीन की संसद ने जिनपिंग को जीवनभर देश की सत्ता संभालने के अधिकार दिए हैं। माना जा रहा है कि इस ताकत के साथ जिनपिंग अपने राज में देश को सैन्य और आर्थिक रूप से सबसे ताकतवर बनाना चाहते हैं।
हमें अपनी स्वयत्ता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करनी चाहिए, ताकि हम पूरे चीन को हमेशा एक-साथ रख सकें। यही देश के मूलभूत ढांचे का आधार है।” बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है। माना जा रहा है कि इस बयान से जिनपिंग ने ताइवान को अपना हिस्सा बताया है। अलगाववादी ताकतों को चेतावनी देते हुए जिनपिंग ने कहा कि चीन के इतिहास को देखते हुए ये साफ है कि जो भी ताकत देश के खिलाफ काम करती है उसका अंत निश्चित है। चीन के खिलाफ काम करने वाले लोगों को सबसे बड़ी सजाएं दी जाएंगी। चीन ताइवान के अलावा दलाई लामा को भी अलगाववादी मानता है। हाल ही में चीन ने शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों के अलगाववादी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूमेंट के खिलाफ भी लगातार ऑपरेशन चलाए हैं।
साउथ चाइना सी को लेकर चीन का वियतनाम, फिलीपींस, ताइवान, ब्रुनेई,और मलेशिया से विवाद हैं। ज्यादातर इलाकों पर चीन गैरकानूनी तरीके से अपना दावा बताता रहा है। चीन ने पिछले दिनों इस क्षेत्र में 7 आइलैंड, मिसाइल स्टेशन, हैंगर और रडार स्टेशन बना चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से ही चीन और अमेरिका के बीच साउथ चाइना सी को लेकर तनातनी का माहौल है।राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान बराक ओबामा भी साउथ चाइना सी पर चीन के बढ़ते कब्जे को लेकर विरोध जता चुके हैं। चीन वेस्टर्न पेसिफिक में अपने कब्जे से अमेरिका को हमेशा चुनौती देता रहा है।
इस साल बैठक में चीन की संसद ने संविधान से उस नियम को हटा दिया जिसके तहत कोई भी शख्स सिर्फ 2 बार ही राष्ट्रपति रह सकता है। यानी जिनपिंग अब जब तक चाहें तब तक देश के राष्ट्रपति रह सकते हैं।संसद में वोटिंग के दौरान कांग्रेस के 2964 सदस्यों में से सिर्फ दो ने राष्ट्रपति बनने की सीमा बढ़ाए जाने के खिलाफ वोट किया था, जबकि तीन सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था। इस लिहाज से वो माओ के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता बन चुके हैं