Friday, November 22, 2024
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एक थे बृजमोहन मुंजाल जो बने जीरो से हीरो मोटोकॉर्प

SI News Today

One was BrijMohan Munjal who made Zero with Hero MotoCorp.

     

जब भी हीरो और होंडा का नाम हमारे जहन में आता है तो हम इन दोनो नामों को अलग-अलग नही लेते हैं। दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हम हमेशा से ही हीरो होंडा का नाम एक साथ लेते आए हैं। पहले तो लोग इस बात से रूबरू ही नही थे कि ये हीरो और होंडा दो अलग-अलग कंपनियां हैं। आइये जानते हैं कि कैसे और किसके द्वारा हुई इसकी शुरुआत और फिर कब हुई ये दोनो कंपनी एक। तो हम बताते हैं आज आपको हीरों होंडा कंपनी के एक होने से लेकर अलग होने तक की बात।

आपको बता दे कि हीरो की शुरुआत सबसे पहले साइकिल बनाने वाली कंपनी से की गई थी। दरअसल बृजमोहन मुंजाल ने अपने तीन भीइयों के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी। सन 1944 में वर्तमान में पाकिस्तान के कमालिया से भारत के पंजाब में आए बृजमोहन ने सर्वप्रथम साइकिल के कलपुर्जों का कारोबार करना शुरु किया। और फिर जाके उन्होंने 1954 में हीरो साइकिल लिमिटेड की शुरुआत की।

पंजाब सरकार ने 1956 में उन्हें साइकिल बनाने का लाइसेंस दिया। सबसे बड़ी बात तो ये है कि लाइसेंस मिलने के पश्चात तो उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई। जिसके दौरान बृजमोहन को सरकार ओर से 6 लाख रुपये की आर्थिक मदद भी मिली। 1975 तक यह भारत की सबसे बड़ी साइकिल साइकिल कंपनी बनकर खड़ी हो गई। और उस समय साल भर में 7500 साइकिलें बनने लगी थी। 1986 में हीरो साइकिल दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी बन गई।

गौरतलब है कि उस समय जापान की सबसे बड़ी टू व्हीलर कंपनी होंडा थी। और हीरो के पास भी भारत में एक सबसे बड़ा नेटवर्क था। जिसके पश्चात दोनो ने हांथ मिला लिया और फिर जाके हीरो-होंडा की पहली बाइक सीडी100 आई। बता दे कि जब हीरो को होंडा की बड़ी टेक्नोलॉजी मिली तो होंडा को हीरो के बड़े नेवर्क का फायदा भी मिला। जिसके कारण 2001 में हीरो होंडा दुनिया की सबसे बड़ी टू व्हीलर कंपनी बनी। सिर्फ इतना ही नही 2014 तक इस कंपनी ने 7 करोड़ से भी ज्यादा मोटरसाइकिलें बेंची डाली थी।

वहीं जहां एक तरफ 2017 में हीरो की टोटल वैल्यू 4 बिलियन डॉलर थी तो वहीं दूसरी ओर 2014 में होंडा से अलग होने के बाद अब ये कंपनी हीरो मोटोकार्प को नाम से जानी जाने लगी। बता दे कि इस हीरो कंपनी की शुरुआत करने वाले बृजमोहम मुंजाल का 2015 में स्वर्गवास हो गया। वो तो इस दुनिया से चले गए लेकिन अपना नाम और छाप यहीं छोड़ गए।

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