Thursday, December 12, 2024
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पाक सेना और ISI अपने आतंकी मंसूबों के लिए मौका दिया है इमरान को

SI News Today

Pak Army and ISI have given chance to Imran Khan for their terrorists acitivity.

     

रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान के आम चुनावों के आधिकारिक नतीजे क्रिकेटर से बने राजनीतिज्ञ इमरान खान की पार्टी तेहरिक-ए-इंसाफ या पीटीआई को जीत मिली है। जिसके लिए जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी कारगिल विजय पर ट्वीट करना जरूरी ना समझकर इमरान को बधाई देना ज्यादा जरूरी समझा। हालांकि, इमरान को सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 में से 137 सीट नहीं मिल पायी है उन्हें सिर्फ 115 सीटें ही मिली हैं, बाकी 22 सीटों के गठबंधन से ही सरकार बन सकती है। हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि बुधवार के चुनाव में 2008 से अपने शासन के ख़त्म हो जाने पर लोकतंत्र को मिटाने के लिए अपनी कोशिशों में लगी पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने किस तरह इमरान खान के पक्ष में चुनाव को झुकाकर आम जनता को अलोकतांत्रिक चुनाव का जहर पिलाया।

गत गुरुवार की रात को राष्ट्रपति जैसे भाषण वाले अंदाज़ में इमरान ने पाकिस्तान की जनता और साथ ही साथ इशारों में बहुत कुछ दुनिया को बता गए।

https://twitter.com/ANI/status/1022452406624219136

इनके अभिभाषण में 10 बातें बहुत प्रमुख थी- 

1. शुरुआत ही बलूचिस्तान के धन्यवाद के साथ किया, जिस बलूचिस्तान क्षेत्र में पाकिस्तान और ईरान की सरकारों के खिलाफ बलूच राष्ट्रवादियों ने गुरिल्ला युद्ध किया। ये सिर्फ political-mileage पाने का एक स्टंट मात्र था।

2. चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के नेता Haroon Bilour (10/07/2018) और Ikramullah Gandapur (22/07/2018) सुसाइड बम आक्रमण से मरने को शहादत बताए जरूर मगर आतंकवादियों के खिलाफ सरकार बनाने के बाद क्या एक्शन लेंगे अपने भाषण में आखिर तक कोई एक लफ्ज़ नहीं बोले।

3. गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के मुद्दे पर दुनिया के अन्य नेताओं की तरह यहाँ इमरान ने भी पाक जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश की। वो शायद ये भूल गए कि वो जिस हिमायती चीन से सीख लेकर अपने मुल्क को कामयाब बनाने की बात कर रहे हैं उसी चीन ने उनके मुल्क को लगभग से ज्यादा के कर्ज में डुबो दिया है। चीन ने पाकिस्तान को उच्च ब्याज़ दर पर क़र्ज़ दिया है। जिससे पकिस्तान का उबर पाना नामुमकिन है। जून में समाप्त होने वाले इस वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान को चीन का दिया उधार $500 Cr से भी ऊपर चला गया है।

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4. वो कहते हैं की यदि कोई भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तो जाँच की शुरुआत और जवाबदेही उनसे शुरू हो फिर बेउरोक्रेट्स और अंत में जनता पर।

5. पकिस्तान के ऊपर क़र्ज़, राजकोषीय ऋण, व्यापारिक घाटा डॉलर के मुक़ाबले रुपया कमजोर होना इन सब के पीछे प्रमुख कारण है अपने ही देश के अमीरों का टैक्स चोरी करना और दुबई या अरब देशों में निवेश करना, जिससे पाक में भुखमरी, गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी बढ़ रही है।

6. पूर्वत में सरकारों का शान-ओ-शौकत से जिंदगी जीने और टैक्स चोरी की वजह से सरकारी खजाने में भारी कमी आयी और पाक दूसरे मुल्को के क़र्ज़ में डूब गया। 5 देशों में सबसे ज्यादा खैरात देने वाला मुल्क खुद खैरात मांगता है (ये बात ही सिर्फ सोचने वाली है)।

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7. सरकारी और गैर सरकारी बड़ी इमारतें या जमीनों को यहाँ तक कि PM आवास को भी शैक्षणिक संस्थान या टूरिज्म स्पॉट बनाने की बात करते हैं(शायद PM आवास के इर्द-गिर्द की भारी जमीन की बात कर रहे हो, क्यूंकि आवास में सर 12-14 कमरे ही हैं)। अब सोचने वाली बात ये है कि पकिस्तान जैसे देश में कौन टूरिस्ट बनकर मौत को गले लगाना चाहेगा. आर्थिक और बेरोजगारी के संकट से जूझने के लिए कम खर्च, ज्यादा बचत , टैक्स कलेक्शन और सरकारी खर्चों में कटौती कि बात की गयी।

8. National Accountability Bureau Federal Board of Revenue, Government of Pakistan और Anti corruption & Anti narcotics Association of Pakistan को मजबूत बनाने के लिए जी जान लगा देंगे।

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9. दूसरे मुल्कों की तरह पाक को भी शांति की जरूरत है। पाक का सबसे पहला पडोसी चीन है, उसके बाद अफगानिस्तान, अमेरिका से एक तरफा दोस्ती है, ईरान और सऊदी अरब से मजबूत रिश्ते की कवायद (राजनितिक खेल खेल गए ये सारे भारत के अच्छे दोस्त हैं, इसलिए अपनी बयानबाज़ी से अपनी तरफ झुकाने की कोशिश) और अंत में इनका पडोसी मुल्क भारत आता है, कश्मीर को लेकर आमने-सामने बात करना चाहते हैं लेकिन पहले भारत फिर पाकिस्तान क्यूंकि बलूच का मसला भी उनके सामने है।

10. और सबसे अहम् बात जो थी वो इनके मुहं से निकली तक नहीं- जब पाक जैसा देश शांति की बात करे तो पहले अपने इतिहास को उठाकर देख ले कि शांति कि पहल किसने की है। जिन आतंकवादियों ने इसी चुनाव के दौरान इनकी पार्टी के दो नेताओं को मारा, जो पाक के लिए पूरी दुनिया में धब्बा है उसके खिलाफ एक लफ्ज़ तक नहीं बोले, जबकि 2008 में ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में मध्य-पूर्व नीति के Saban Center द्वारा प्रकाशित एक विश्लेषण के मुताबिक – पाकिस्तान “ईरान के संभावित अपवाद के साथ, शायद आतंकवादी समूहों का दुनिया का सबसे सक्रिय प्रायोजक … सहयोगी समूह जो संयुक्त राज्य अमेरिका को सीधा खतरा पैदा करता है।”

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लेकिन अगर इमरान पाक सेना को उसका इनाम देने की कोशिश में आतंकियों को कवर करने कोशिश कर रहे हैं तो वो पार्लियामेंट में नवाज़ शरीफ से आमना-सामना कर लें या उनके इतिहास को पढ़ लें कि पाक-सेना ने जब भी किसी नेता को उसके मकसद तक पहुँचाया है तो उसका खामियाज़ा बहुत जल्द उसे भुगतना पड़ा है।

@TheSuneelMaurya (Don’t Copy)

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