Surgical Strike : Help of Indian Army from Leopard Urine
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जम्मू-कश्मीर में उड़ा आतंकी हमला होने की बात। जिसके बाद बदला लेने के लिए जब सेना ने नियंत्रण रेखा को पारकर पाकिस्तानी सीमा के भीतर घुंस गए। सिर्फ इतना ही नही जब 15 किमी अंदर घुसकर आतंकी कैंपों को निशाना बनाया गया तो उस दौरान तेंदुए के मल-मूत्र से भी सेना को मदद मिली थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मंगलवार को जहां सेना में नगरोटा कार्प्स कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने पुणे में इस बात का कहा। वहीं पुणे की थोर्ले बाजीराव पेशवे प्रतिष्ठान ने सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान राजेंद्र निंबोलकर के योगदान को देखते हुए उन्हें सम्मानित किया गया।
बता दे कि कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में ब्रिगेड कमांडर रह चुके राजेंद्र निंबोरकर ने एरिया की जैव-विविधता का अत्यधिक अध्ययन भी किया है। वहीं इसी सम्बंध में आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि उस इलाके के जंगलों में तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमले कर देते हैं। लिहाजा स्वयं को बचाने के लिए कुत्ते रात में रिहायशी इलाकों के समीप छिप जाते हैं।
गौरतलब है कि जब सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन देने की रणनीति बनाई गई तो इसीलिए इस बात का भी ध्यान रखा गया कि रास्ते में पड़ने वाले गांवों से गुजरने के दौरान ये कुत्ते आहट पाते ही तेंदुए के खौफ से भौंक सकते हैं व हमला भी कर सकते हैं। तो ऐसे में उससे बचाव के लिए तेंदुए के मल-मूत्र का सहारा लिया गया। जिसके चलते उनको गांवों के पास फेंक दिया गया। और उनकी यही रणनीति काम आई जिसके चलते कुत्तों ने डर के मारे आस-पास भटकने की भी हिम्मत नहीं की।