Thursday, November 21, 2024
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बकरीद के लिए इस्लाम में दिए गए नियम, इस वजह से मनाते है बकरीद

SI News Today

The rule given in Islam for Bakrid , that’s reason of celebrating Bakreid.

 

कहा जाता है कि हजरत इब्राहिम को खुदा ने पैगाम दिया था कि तुम अपनी किसी अजीज चीज़ की कुर्बानी दो. वही हदरत इब्राहिम ने खुदा के पैगाम को स्वीकारते हुए अपने जिगर के टुकड़े इकलौते बेटे की क़ुरबानी देने की ठान ली. कहते हैं जब इब्राहिम अपने बेटे की क़ुरबानी देने जा रहे थे तब उन्होंने अपनी आँखों में पट्टी बांध ली थी, वही जब खुदा ने इब्राहिम का जज्बा देखा तो उन्होंने बेटे की जगह जानवर को बदल दिया. इसके बाद से बकरीद मनाया जाने लगा. कहते हैं बकरीद के दिन अपनी अजीज चीज यानी इच्छाओं को कुर्बान करने करना चाहिए यही खुदा का पैगाम है.

बकरीद में इस्लाम धर्म के अनुयायी खुदा के लिए अपनी तरफ से बड़ी से बड़ी कुर्बानी देते हैं. इस्लाम में बकरों की कुर्बानी बकरीद में जरूरी है और इसके लिए इस्लाम में कुछ नियम बताए गए है जिसे पालन करना हर मुस्लिम का धर्म है.

बकरीद के दिन किसी ऐसे जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती जिसमें कोई शारीरिक बीमारी या भैंगापन हो, सींग या कान का अधिकतर भाग टूटा हो या जो शारीरिक तौर से बीमार हो, यहां तक कि इस दिन बहुत छोटे पशु की भी बलि भी नहीं दी जा सकती. जिस जानवर की कुर्बानी दी जाती है वो कम-से-कम एक साल या फिर डेढ़ साल का होना चाहिए.

कुरान में कहा गया है कि अल्लाह के पास हड्डियां, मांस और खून नहीं पहुंचता है. पहुंचती है तो खुशु यानी देने का जज्बा. कुर्बानी ईद की नमाज के बाद की जाती है, इससे पहले नहीं दी जा सकती. कुर्बानी के बाद मांस के तीन हिस्से होते हैं. एक खुद के लिए, दूसरा गरीबों के लिए और तीसरा रिश्तेदारों के लिए.

फुका में कुर्बानी का एक बड़ा नियम यह है कि जिनके पास 613 से 614 ग्राम चांदी हो यानी आज के हिसाब से इतनी चांदी की कीमत के बराबर जिनके पास धन हो उस पर कुर्बानी फर्ज है यानी उसे कुर्बानी देनी चाहिए. वही कुर्बानी देने वाले के ऊपर उस समय कर्ज नहीं होना चाहिए साथ ही उसके पास उस समय यह धन उपलब्ध होना चाहिए चाहे वह फिक्स डिपॉजिट ही क्यों न हो.

कुरान के नियमानुसार अगर कोई व्यक्ति अपनी कमाई का ढ़ाई प्रतिशत दान देता है इसके बाद सामाजिक कार्यों में अपना धन कुर्बान करता है तो यह जरुरी नहीं है कि वह बकरे की कुर्बानी दे. कहा जाता है जो इंसान दूसरे इंसान का भला करता है अल्लाह सबसे अधिक उसे प्यार करता है. जो प्याऊ लगता है उसकी कुर्बानी सबसे बड़ी मानी जाती है.

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