There was a time when America refused to give India a SuperComputer.
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महासंगणक (supercomputer) उन computers को कहा जाता है जो वर्तमान समय में गणना-शक्ति तथा कुछ अन्य मामलों में सबसे आगे होते हैं। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सुपरकंप्यूटर बहुत बड़े-बड़े परिकलन और अति सूक्ष्म गणनाएं तीव्रता से कर सकता है। इसमें कई माइक्रोप्रोसेसर एक साथ काम करते हुए किसी भी जटिलतम समस्या का तुरंत हल निकाल लेते हैं। वर्तमान में उपलब्ध कंप्यूटरों में सुपर कंप्यूटर सबसे अधिक तीव्र क्षमता, दक्षता व सबसे अधिक स्मृति क्षमता वाला कंप्यूटर है। आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगाफ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है। सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में एक अरब गणनाएं कर सकता है। इसकी गति को मेगा फ्लॉप से नापते है।
पहला सुपर कंप्यूटर डेनियल स्लोटनिक द्वारा विकसित इल्लीआक 4 है, जिसने 1975 में काम करना आरंभ किया। यह अकेले ही एक बार में 64 कंप्यूटरों का काम कर सकता था। इसकी मुख्य मेमोरी में 80 लाख शब्द आ सकते थे और यह 8, 32, 64 बाइट्स के तरीकों से अंकगणित क्रियाएं कर सकता था। इसकी कार्य क्षमता 30 करोड़ परिकलन क्रियाएं प्रति सेकंड थी।
भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत सन 1652 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (I.S.I.) कोलकाता से हुई थी। सन 1952 में I.S.I. में एक एनालोंग कंप्यूटर की स्थापना की गई थी जो भारत का प्रथम कंप्यूटर था। लेकिन भारत में कंप्यूटर युग की वास्तविक रूप से शुरुआत हुई सन 1956 में हुयी जब I.S.I. कोलकाता में भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC – 2M स्थापित किया गया। यह कंप्यूटर केवल भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक कंप्यूटर होने के कारण ख़ास नहीं था बल्कि इसलिए भी ख़ास था क्योंकि इसकी स्थापना के साथ ही भारत जापान के बाद एशिया का दूसरा ऐसा देश बन गया था जिसने कंप्यूटर तकनीक को अपनाया था। लेकिन ये सभी कंप्यूटर भारत में विकसित नहीं हुए थे बल्कि इन्हें दूसरे देशों से खरीदा गया था। सन 1966 में भारत में भारतीय सांख्यिकी संस्थान तथा जादवपुर यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किया गया पहला कंप्यूटर था I.S.I.J.U., इस कंप्यूटर का विकास दो संस्थाओं किया गया था, जिस कारण इसे ISIJU नाम दिया गया |
1980 के अंतिम दशक में भारत को अमेरिका ने Cray सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था। इसके पीछे अमेरिका की अपने प्रभुत्व बरकरार रखने की मंशा मानी जा रही थी, क्योंकि वह एक ऐसा दौर था, जब भारत और चीन में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी। ऐसे में अमेरिका नहीं चाहता था कि विश्व में कोई दूसरी शक्ति तकनीक के मामले में उसके मुकाबले में खड़ी हो। चूंकि सुपर कंप्यूटर के उपयोग से रॉकेट प्रक्षेपण, परमाणु विस्फोट के समय गणनाओं में आसानी हो जाती है, इसलिए भी अमेरिका के मन में भय था कि कहीं इसके द्वारा भारत अपने नाभिकीय ऊर्जा प्रसार कार्यक्रम को एक नया रूप न दे दे।
प्रौद्योगिकी प्रतिबंध के परिणामस्वरूप क्रे सुपर कंप्यूटर से वंचित किए जाने के बाद, भारत ने स्वदेशी सुपर कंप्यूटर और सुपरकंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया। परमाणु हथियारों के विकास क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से 1988 में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) की स्थापना की गई। इसके निदेशक के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के डॉ विजय भाटकर को नियुक्त किया गया। इसलिए उनकी पहचान देश के पहले सुपरकंप्यूटर परम के निर्माता के तौर पर की जाती है, जिसके लिए भारत सरकार ने उन्हें 2000 में पद्मश्री से नवाज़ा। पुणे में स्थित प्रगत संगणन विकास केंद्र में भारतीय वैज्ञानिकों ने सी-डेक परम-8000 कंप्यूटर बनाकर अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया। परम का अर्थ है parallel machine जो कि आज सुपर कंप्यूटर की एक श्रृंखला है | परम का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रो में किया जाता है जैसे बायोइन्फ़ोर्मेटिक्स के क्षेत्र में, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में आदि | भारत ने सुपर कंप्यूटर बनाने के बाद परम 8000 जर्मनी, यूके और रूस को दिया।
सर्वश्रेष्ट 5 सुपरकंप्यूटर-
1. तिअन्हे-1A (एन यू डी टी), चीन
2. ब्लू जीन/ एल सिस्टम (आईबीएम), यूएस
3. ब्लू जीन/पी सिस्टम (आईबीएम), जर्मनी
4. सिलिकॉन ग्राफिक्स (एसजीआई), न्यू मैक्सिको
5. एका, सीआरएल (टाटा संस का आर्म), भारत
इसमें टाटा के सुपर कंप्यूटर एका को दुनिया में चौथा और एशिया में सबसे तेज सुपर कंप्यूटर करार दिया गया है। सुपरकम्प्यूटर शक्तियों में अमेरिका के बाद भारत को दूसरे नंबर पर रखा गया था, जो 1991 में स्थापित किया गया था।
इसलिए कंप्यूटर क्षेत्र में अपने आपको महाशक्ति बनाने के लिए हर भारतीय को भारत देश और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के निदेशक डॉ विजय भाटकर पर गर्व होना चाहिए।