बेरुत. अमेरिका ने सीरियाई फौजों पर पहली बार वॉरप्लेन्स से हमला किया। बताया जा रहा है कि सीरिया ने अमेरिकी वॉर्निंग को नजरअंदाज किया था। अप्रैल में सीरिया में गैस लीक हादसे में 100 लोग मारे गए थे। इसके बाद अमेरिका ने एक एयरबेस को निशाना बनाकर 59 टॉमाहॉक मिसाइलें दागी थीं। आईएसआईएस के हमले में मारे गए थे 50 लोग…
– गुरुवार को आईएसआईएस के हमले में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आईएसआईएस आतंकियों ने सरकार के कब्जे वाले दो गांवों पर ये हमला किया था।
– अमेरिकी डिफेंस अफसर के मुताबिक, हमारे वॉरप्लेन्स ने जॉर्डन बॉर्डर के करीब सीरियाई सरकार की समर्थक फौजों को निशाना बनाया।
– अफसर के मुताबिक, “जिस काफिले पर हमला किया गया, उसने तमाम वॉर्निंग के बाद कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। इसी के बाद हमने हमले का फैसला लिया। सरकार समर्थित फौजें, अल-तनाफ इलाके में अमेरिकी कोएलिशन फोर्सेस के नजदीक ही थी। इस इलाके में ब्रिटिश और अमेरिकी कमांडोज लोकल फोर्सेस जो आईएसआईएस से लड़ने की ट्रेनिंग दे रहे थे।”
– पेंटागन चीफ जेम्स मैटिस ने कहा, “हमले के बावजूद अमेरिका की सीरियाई सिविल वॉर में ज्यादा दखलअंदाजी की कोई योजना नहीं है। लेकिन हम अपने सैनिकों की सुरक्षा जरूर करेंगे।”
– उधर, एक सीरियाई ह्यूमन राइट्स मॉनिटर ने कहा कि अमेरिकी हमले में 8 लोग मारे गए और 4 व्हीकल तबाह हो गए।
US ने दागी थीं 59 मिसाइलें
– 8 अप्रैल को अमेरिका ने सीरिया के एयरबेस पर 59 क्रूज मिसाइलें दागीं। इसमें 4 बच्चों समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी।
– बता दें कि 4 अप्रैल को सीरिया के इदलिब शहर में हवाई हमले के बाद हुए जहरीली गैस के रिसाव में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
– ट्रम्प ने कहा था, “इसमें कोई शक नहीं कि सीरिया में केमिकल अटैक के लिए प्रेसिडेंट बशर अल-असद जिम्मेदार हैं। वे मासूम लोगों, महिलाओं और बच्चों का खून बहा रहे हैं।”
– अमेरिकी मिसाइलों ने शयरात एयरबेस को निशाना बनाया था। यूएस का मानना था कि सीरिया के विद्रोहियों वाले इलाके में जो रासायनिक हमले किए गए थे, वो इसी एयरबेस से किए गए थे।
– हालांकि, ट्रम्प ने ये भी साफ किया है कि उन जगहों को निशाना नहीं बनाया जाएगा, जहां रूसी मिलिट्री तैनात है। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने ये भी कहा कि उन्हें रूस से किसी तरह का अप्रूवल नहीं चाहिए।
– यूएस ऑफिशियल के मुताबिक, यूएस नेवी ने करीब 60 टॉमहॉक मिसाइलें मेडिटेरेनियन सी (भूमध्य सागर) में दागी थीं।
क्या है सीरिया का संकट?
– 2011 में हुई एक छोटी-सी घटना ने सीरिया में सिविल वॉर का रूप ले लिया। कुछ मुट्ठीभर बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ ये संघर्ष सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद दुनिया के लिए अब तक का सबसे बड़ा ह्यूमन क्राइसिस बन चुका है।
– प्रेसिडेंट बशर अल-असद के खिलाफ शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों और संघर्ष में अब तक करीब 4 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
– जुलाई 2011 में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए सीरियन आर्मी के अफसरों के एक ग्रुप ने सेना छोड़ फ्री सीरियन आर्मी का गठन किया।
– दिसंबर 2011 से लेकर 2012 तक जगह-जगह सुसाइड बम ब्लास्ट हुए। इसके बाद अल कायदा के लीडर अयमान अल जवाहिरी ने सीरियाई लोगों से जिहाद के लिए आगे आने की अपील की। बीते दो साल में आईएस ने भी अपने आतंकी भेजने शुरू कर दिए।
– असद के लिए सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) को रूस और ईरान सपोर्ट कर रहे हैं। वहीं, अमेरिका पर आरोप है कि वह असद के खिलाफ विद्रोहियों की मदद कर रहा है।