What has caused the general public to become a mass murderer.
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खबर कम और गलत खबरों को ज्यादा पहुंचाया रहा है। जिसके चलते लोग सही या गलत खबरों में फर्क नही कर पाते हैं। आज के जमाने में लोग इंटरनेट से बंधकर रह गए हैं। और लोग सोशल मीडिया का गलत तरीके से प्रयोग कर रहें हैं। दरअसल हम बात कर रहें हैं फेक न्यूज की, जो व्हाट्सएप व फेसबुक पर बहुत ही तेजी से फैलती चली जा रही है। और उसको फैलाने वाले कोई और नही बल्कि हम और आप जैसे लोग ही हैं, जो बिना सही तथ्य जाने किसी फी न्यूज को लाइक, फारवर्ड या शेयर कर देते हैं। हम तो कभी ये जानने की कोशिश ही नही करते कि क्या ये न्यूज सही है यह फिर गलत। हमे तो बस उसे फारवर्ड व शेयर करना होता है, जिसे हन करते हैं। और ऐसा करने की वजह से हमारे समाज व उसके लोगों की जानें खतरे में आ जाती है और न जाने कितने लोग इसका शिकार हो गए हैं और वो अपनी जान गवां बैठे हैं।
आपको बता दे कि फेक न्यूज के कारण न जाने कितने लोगों से उनकी जिंदगी छीन ली जातीहै , न जाने कितने परिवार के जीने का सहारा छीन लेती है। इतना ही नही हमारे देश में दंगे व फसाद होने कारण ये फेक न्यूज ही है। सामाजिक होना बहुत अच्छी बात है लेकिन अपने घर को चिड़ियाघर बनाना कहां तक सही है। हमारे भारत में प्रत्येक महीने में 20 करोड़ से ज्यादा लोग व्हाट्सऐप का खूब इस्तेमाल करते हैं जिनमें से कुछ लोग तो गुड मॉर्निंग के मैसेज भेज कर ही सब्र कर लेते हैं, पर ऐसे बहुत लोग हैं जो झूठ और गलतबयानियों के घालमेल को फैलाने में जुटे रहते हैं। आपको बता दे कि लगभग 1300 करोड़ मैसेज प्रति दिन भेजे जाते हैं। फिर वो चाहे 2000 रुपये के नए नोट में जीपीएस चिप हो या बाहुबली के प्रभास द्वारा शहीदों को 121 करोड़ दान करने का दावा।
व्हाट्सऐप पर ऐसी कहानियां घूमने के कारण ही यह अपनी एक अच्छी जगह बना लेती हैं। भारत में 16.6 करोड़ लोग फेसबुक़ का इस्तेमाल करते हैं, जो कि रूस, श्रीलंका और न्यूज़ीलैंड की कुल आबादी से भी अधिक है। कभी बच्चा चोरी की खबर आती है तो लोग किसी को भी बच्चा चेर समझ लेते हैं और उसके मार मार कर उसकी हत्या कर देते हैं। ऐसे न जाने कितने मामले खुलकर सामने आते हैं जिसमें बेगुनाह लोगों को सजा दी जाती है। असम, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर भी बच्चा चोरी की झूठी खबर के चलते कई लोगों की जान जा चुकी है।
वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने फेक न्यूज के इस तरीके के बहाव को रोकने के लिए कई उपाय लागू किए हैं, जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि फेसबुक़ ने फेक न्यूज़ की पहचान के लिए एक फ्लैगिंगटूल भी शुरू किया है। आज हमारे देश की स्थिति ये हैं कि हमारी आपकी जैसे ही नींद खुलती है हमारा हांथ सबसे पहले फोन पर जाता है। फिर गुडमार्निंग की बाढ़ से शुरु होता है हमारा दिन। यह दुखद तो है ही पर इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का यही सबसे डरावना हिस्सा नहीं है। गौरतलब है कि फेक न्यूज के चलते ही लोग बिना सही तथ्य के परख के किसी पर भी टूट पड़ते हैं।
- Soumya Srivastava