While on the holy occasion of Bakrid’s, Rivers of blood on the road.
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भारत समेत दुनियाभर के कई हिस्सों में ईद-उल-अजहा का जश्न मनाया जाता है, वही इस्लाम के अनुसार इस दिन अपनी किसी कीमती चीज़ का बलिदान करना होता है. इस दिन लोग बकरे या फिर किसी और जानवर की बलि देते है. वहीँ अगर बात की जाये साल 2016 की तो इस साल बकरीद के मौके पर बांग्लादेश में जानवरों की बलि के बाद सड़को पर खून की नदियाँ बही थी.
दरअसल उस साल बकरीद के दिन बंगालेश की राजधानी ढाका में बहुत बरसात हो रही थी जिसकी वजह से कुछ घंटों के बाद सड़कों में बाढ़ आ गई थी. वही ‘कुरबानी’ के लिए काटे गए जानवरों के खून बारिश के पानी के साथ मिल गया था. बांग्लादेश के अग्रणी अख़बार ढाका ट्रिब्यून ने बताया, ढाका में बारिश होने के कारण राजधानी के कई क्षेत्रों में बाढ़ आ गई, जिसका पानी जानवरों के रक्त से मिलकर एक असामान्य और गहरी दृश्य बना रहा था जिसे देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था मनो शहर भर में लाल नदियां बह रही हो.
वही मौसम विभाग ने पहले ही त्यौहार पर भारी बारिश के बारे में चेतावनी दी थी. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार 13 सितम्बर 2016 को बकरीद के मौके पर दोनों शहर निगमों ने एक साथ जानवरों की बलि के अनुष्ठान के लिए लगभग 1000 स्पॉट आवंटित किए थे.उत्तर में 496 और दक्षिण में 504 नामित किए थे.
मनोबकंठा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारी बारिश ने नागरिकों के लिए समस्या पैदा हुई उन्हें निवासियों को अपने घरों के परिसर के भीतर जानवरों को त्यागने के लिए मजबूर होना पड़ा, जैसे हत्या के लिए नामित जगह के बजाय आंगन या गेराज . ईद पर उस अनुष्ठान बलिदान से निपटने के लिए शहर में करीब 1,000 स्थानों को दो निगमों द्वारा सौंपा गया था. कई निवासियों ने दोषी ठहराया अभियान की कमी स्थिति के पीछे मुख्य कारण था. जबकि अन्य ने कहा, बलिदान के लिए निर्दिष्ट स्थान उनके घरों से बहुत दूर थे.