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अगर आप भी सबसे छिपकर देखते हैं पोर्न..

जब पोर्न देखना आदत में शुमार हो जाता है तो इस से परेशानियां पैदा होने लगती हैं. इसलिए पोर्न देखना है तो इसकी एक लिमिट आप को खुद ही तय करनी होगी.

पोर्न देखने की आदत जब इस हद तक बढ़ जाए कि उस से हमारी पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ प्रभावित होने लगे तो वह पोर्न का नशा बन जाता है.

इस बारे में मनोचिकित्सक स्मिता देशपांडे का कहना है कि हमारे शरीर में डोपामाइन व सेरोटोनिन नामक हारमोंस होते हैं, जिन्हें ‘हैप्पीनैस हारमोंस’ भी कहा जाता है. इन्हीं हारमोंस की वजह से हमें कुछ भी करने में खुशी मिलती है.

पोर्न के पीछे इंसान ऐसे चल पड़ता है जैसे सूखे रेगिस्तान में पानी मिलने की आस में प्यासा व्यक्ति कोसों चलता है. लेकिन हर पोर्न देखने वाले का नजरिया अलग होता है जैसे कि कुछ को शराब से ही नशा हो जाता है तो कुछ को उस के साथ ड्रग्स ले कर. इसी तरह कुछ को पोर्न तसवीरें देखने में मजा आता है तो कुछ को पोर्न फिल्में और कुछ को वाइल्ड सैक्स देखने में. इस तरह यह नशा एक तरफ तो फीलगुड का ऊंचा लैवल सैट कर देता है और दूसरी तरफ उस हिस्से को भी ऐक्टिव कर देता है जिस में कुछ और नया देखने और ज्यादा आनंद लेने की इच्छा जाग्रत होती है. इस तरह पोर्न देखने का शौकीन न तो इस के बिना रह पाता है और न ही जल्दी से इस से संतुष्ट हो पाता है. इस का नतीजा होता है कि इस से व्यक्ति मानसिक रूप से पंगु हो जाता है और उस की सोचने की शक्ति भी कम हो जाती है. वहीं उस के दिमाग में बस, पोर्न ही घूमता रहता है. इस से उस का स्वास्थ्य भी खराब होता है.

इंटरनैशनल सिक्योरिटी सिस्टम लैब के कंप्यूटर सुरक्षा विशेषज्ञ डा. गिलबर्ट वोंडरेसेक ने अपनी टीम के साथ किए एक परीक्षण में पाया कि ज्यादातर लोग पोर्न साइट्स के चक्कर में फंस जाते हैं. इस नए अध्ययन से पता चला है कि पोर्न साइट्स की सैर करने वाले लोग साइबर अपराधियों के जाल में फंस रहे हैं. पोर्न देखने के बाद लोग कुछ ऐसा करना चाहते हैं जो उन के स्वभाव और प्राकृतिक तौर पर उन के दिमाग का हिस्सा नहीं है. चाहे वह जानवरों के साथ, कई लोगों के साथ हो या फिर कष्टकारी सैक्स ही क्यों न हो, वे सब ट्राई करना चाहते हैं.

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