भगवान को चढ़ने वाले पंचामृत में भी एक गूढ़ संदेश है। पंचामृत दूध, दही, शहद व घी को गंगाजल में मिलाकर बनता है। 1. दूधः – जब तक बछड़ा पास न हो गाय दूध नहीं देती। बछड़ा मर जाए तो उसका प्रारूप खड़ा किए बिना दूध नहीं देती। दूध मोह का प्रतीक है
2. शहद – मधुमक्खी कण-कण भरने के लिए शहद संग्रह करती है। इसे लोभ का प्रतीक माना गया है।
3. दही – इसका तासीर गर्म होता है। क्रोध का प्रतीक है।
4. घी – यह समृद्धि के साथ आने वाला है, अहंकार का प्रतीक।
5. गंगाजल – मुक्ति का प्रतीक है। गंगाजल मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार को समेटकर शांत करता है। पंचामृत से अर्चना का अर्थ हुआ हम मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार को समेटकर भगवान को अर्पित करके उनके श्री चरणों में शरणागत हों।
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