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गरीबी और जिंदगी से नहीं लड़ सके ये क्रिकेटर्स

डिप्रेशन, व्यक्तिगत कारणों और फाइनेंशियल प्रॉबलम्स से जूझते हुए कई लोग जिंदगी से जंग हार जाते हैं और खुदकुशी को सारी समस्या का हल समझ लेते हैं। क्रिकेट जगत भी इससे अछूता नहीं है। कई क्रिकेटर्स अवसाद और वित्तीय परेशानियों चलते मौत को गले लगा चुके हैं। यहां तक कि कुछ मामलों में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण भी इस तरह के कदम उठाए गए हैं। क्रिकेट ट्रैकर ने डेविड फ्रीथ द्वारा लिखी गई किताब बाई हिज़ ओन हैंड: ए स्टडी ऑफ क्रिकेट सुसाइड्स (By His Own Hand: A Study of Cricket’s Suicides), स्टेनले पॉल और साइलेंस ऑफ द हार्ट: क्रिकेट सुसाइड्स का हवाला देते हुए ऐसे 20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के बारे में बताया है जिन्होंने डिप्रेशन, वित्तीय समस्याओँ और लंबी बीमारी के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त की।

जिन क्रिकेटरों ने सुसाइड किया है उनमें सबसे ताजा मामला इंग्लैंड के खिलाड़ी डेविड बेयरस्टो का है। क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद डेविड बेयरस्टो लगातार मानसिक तनाव का शिकार हो गये थे और उन्होंने एक साथ काफी ज्यादा नींद की गोली खाकर सुसाइड कर लिया था। यॉर्कशायर प्रशासन से संघर्ष के कारण डेविड अवसाद में थे। डेविड बेयरस्टो जॉनी बेयरस्टो के पिता थे। इसी तरह श्रीलंकाई खिलाड़ी सुनील जयसिंघे ने बिना क्रिकेट करियर के 10 साल जीवन बिताने के बाद 40 साल की उम्र में खुदकुशी कर ली थी। श्रीलंका के नेशनल बोर्ड ने सुनील पर 25 साल का प्रतिबंध लगाया था। रंगभेद नीतियों के दौरान जयसिंघे साउथ अफ्रीका स्थानांतरित हो गए थे।

साल 2017 के अप्रैल महीने में विदर्भ रणजी ट्रॉफी टीम के पूर्व खिलाड़ी अमोल जिचकर ने भी पंखे से लटककर जान दे दी थी। जानकारी के मुताबिक अमोल कई महीनों से आर्थिक रूप से परेशान चल रहे थे। जिसके चलते उन्होंने इस तरह का कदम उठाया। विदर्भ क्रिकेट संघ के मुताबिक अमोल ने 1998 से 2002 तक विदर्भ टीम के लिए रणजी ट्रॉफी मैच खेले थे। उन्होंने छह फर्स्ट क्लास मैचों में विदर्भ का प्रतिनिधित्व किया था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 6.64 की इकोनॉमी रेट से 7 विकेट लिए थे। वे साल 1998 से 2002 तक चार साल तक क्रिकेट में सक्रिय थे। इससे पहले वे अंडर 19 क्रिकेट भी खेल चुके थे।

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