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कीटाणुमुक्त घर के लिए हैं कुछ खास बातें

अपने घर को हाइजीनिक और स्वस्थ बनाए रखने के लिए यह कतई जरूरी नहीं है कि आप पूरे दिन घर की साफ-सफाई में लगी रहें। या फिर घर और आपको 100% बैक्टीरिया मुक्त रखने का दावा करने वाले एंटीबैक्टीरियल प्रोडक्ट्स पर बहुत अधिक खर्च करें। गृहविज्ञान विशेषज्ञों की मानें तो सेहत और हाइजीन का सीधा संबंध होता है। पर हाइजीन के संबंध में अधिकतर हमारा फोकस खुद को स्वच्छ रखने तक सीमित रह जाता है। सफाई करते समय या खाना बनाते समय कई ऐसी छोटी-छोटी बातें हैं, जिनकी रोज की लापरवाही हमारी हाइजीन संबंधी जानकारी पर सवाल उठाती है। घर में ही कई ऐसे खतरे वाले जगह हैं जो लंबे समय तक अछूते रह जाते हैं। खासतौर पर तापमान का बढ़ना और अधिक नमी कीटाणुओं को बढ़ावा देते हैं।

क्या कहते हैं सर्वे

इंडियन मेडिकल एकैडमी द्वारा देशभर में 1400 घरों में किए गए एक सर्वे के अनुसार साफ-सुथरे दिखने वाले घर खासतौर पर रसोई संक्रमित पाए गए हैं। ग्लोबल हाइजीन काउंसिल के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार रसोई में इस्तेमाल के कपड़े, चाकू व चॉपिंग बोर्ड, फ्रिज के भीतर के हिस्से 60 से 90 प्रतिशत तक संक्रमित पाए गए हैं। घर में हाइजीन की कमी फूड प्वॉइजनिंग, डायरिया या जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने के अलावा अस्थमा के साथ-साथ जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए भी घातक होती है। गृहविज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, हम घर की सफाई पर तो ध्यान देते हैं, पर उसकी स्वच्छता यानी उसके संक्रमणमुक्त होने पर उतना ध्यान नहीं देते। आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर अपने घर को बैक्टीरिया प्रूफ बना सकती हैं, जैसे…

  • मक्खी-मच्छरों को दूर रखने के लिए लाइट फिटिंग्स, नल, स्विच, दरार आदि को केस्टर ऑयल से पोछें। केस्टर ऑयल मक्खी-मच्छर को पैदा होने से रोकता है।
  • कॉकरोच को दूर रखने के लिए एक जग में गर्म पानी में एक कप केरोसिन तेल मिला कर सप्ताह में एक बार रात में नालियों में डालें। गर्मियों में फर्श को फिनायल या नमक के पानी से साफ करें।
  • नियमित रूप से घर की चीजों की उन सतहों को अवश्य साफ करें जिन्हें आप अक्सर हाथों से छूती हैं, जैसे फ्रिज व अलमारी के दरवाजे का हैंडल, नल, डस्टबिन, टॉयलेट सीट, बर्तनों का स्टैंड, टेलीविजन रिमोट कंट्रोल, लाइट स्विच व टेलीफोन आदि।
  • कारपेट, दरी, परदे, सोफे की गद्दियां, सॉफ्ट टॉयस व कुशन आदि की नियमित सफाई करें।
  • गीले कपड़ों को रसोई या फिर बाथरूम में लंबे समय तक न छोड़ें। रात में सोने से पहले गीले कपड़ों को अच्छी तरह निचोड़कर सुखाना नमी से पैदा होने वाले बैक्टीरिया को पैदा होने से रोकता है।
  • खाने-पीने की चीजों के बिखरे हुए टुकड़ों को यूं ही न छोड़ें। तुरंत सफाई कर दें।
  • घर में यदि पेड़-पौधे व गमले हैं तो उसके आसपास के हिस्से की भी नियमित सफाई करें।

बाथरूम भी है निशाने पर

टॉयलेट, खासतौर पर बेसिन, टॉयलेट सीट व ऐसा कोई भी हिस्सा जो शरीर के संपर्क में आता है, वहां से रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया के संपर्क में आने की आशंका अधिक होती है। काई, फफूंदी, नमी, दरारें रोग फैलाने वाले कीटाणुओं को तेजी से अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि बाथरूम में किसी छोटी-मोटी मरम्मत को लंबे समय से टाल रही हैं तो उसे ठीक कराने में ही समझदारी है।

  • बाथरूम को अनावश्यक सामान से भरकर न रखें।
  • गीले कपड़ों को खुला या बिखरा हुआ न छोड़ें। गीले कपड़ों पर बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं।
  • इस्तेमाल के बाद शैंपू की खाली बोतल, पैकेट, फेसवॉश व अन्य बोतलों को फेंक दें। एक्सपायरी प्रोडक्ट्स को जमा करके रखने में कोई समझदारी नहीं है।
  • साबुनदानी की भी नियमित सफाई करें। किनारों पर जमने वाले साबुन पर गंदगी की परत जमने लगती है, जिस पर बैक्टीरिया पैदा होते हैं।
  • यदि संभव है तो हर छह माह बाद नया टॉयलेट ब्रश खरीदें।
  • अपने टूथब्रश को भी हर तीन माह पर बदलें और ब्रश करने के बाद उसे अच्छी तरह से धोना न भूलें।

रसोई से ऐसे भगाएं कीटाणु

यदि आप वाकई घर को कीटाणुमुक्त रखने का मन बना चुकी हैं, तो इसकी शुरुआत रसोई से करें। अधिकांश लोगों को लगता है कि रसोई की तुलना में बाथरूम में साफ-सफाई की जरूरत अधिक होती है, जबकि ऐसा नहीं है। आपको यह जानकर हैरत होगी कि किचन सिंक में टायलेट सीट की तुलना में एक लाख गुना अधिक कीटाणु होते हैं। एक सर्वे में भारतीय रसोइयों में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े सौ प्रतिशत संक्रमित पाए गए है। रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया का यह संक्रमण किचन सिंक, किचन काउंटर, स्टोव, चाकू और चॉपिंग बोर्ड पर भी देखने को मिला है। बैक्टीरिया को विकसित होने के लिए भोजन, नमी और अधिक तापमान की जरूरत होती है, ऐसे में रसाई से बेहतर जगह क्या हो सकती है।

कहां पर होता है अधिक खतरा

नल के चारों ओर व मोरी के आसपास नमी की अधिकता या काई का जमना, गीजर, माइक्रोवेव व बरतन स्टैंड के पिछले हिस्से, फ्रिज की भीतरी जालियां व टोकरी कुछ ऐसे हॉट स्पॉट है जहां पर कीटाणु होने की आशंका सबसे अधिक होती है।

क्या करें

  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के लिए बर्तनों और रसोई को साफ रखें, निजी स्वच्छता का ध्यान रखें, कच्चे व पके हुए खाद्य पदार्थों को अलग-अलग रखें, अच्छी तरह पकाएं और सही तापमान पर वस्तुओं को स्टोर करें।
  • रसोई के कपड़े व अन्य उपकरणों को साफ रखें। सिंक व मोरी के पास नियमित कीटनाशक घोल का छिड़काव करते रहें।
  • यदि संभव है तो बोन चाइना प्लेट्स का इस्तेमाल करें।
  • रात में पूरा काम होने के बाद रसोई को अच्छी तरह साफ कर लें।
  • कमरे के तापमान पर खाने की वस्तुओं में बैक्टीरिया उत्पन्न होने की आशंका अधिक होती है। सोने से पहले खाने की वस्तुओं को सही तरह से स्टोर कर लें।

इन्हें ना भूलें

  • कच्चा मांस, डेयरी प्रोडक्ट्स व समुद्री भोजन को फ्रिज में खाने की दूसरी वस्तुओं से अलग रखें। फ्रिज का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक रखें। फ्रिज को बहुत अधिक सामान से भरे नहीं, इससे ठंडी गैस चारों तरफ नहीं फैल पाती। यदि फ्रिज में कोई खाने की वस्तु या रस गिर गया है तो उसे तुरंत साफ कर दें।
  • मांसाहारी वस्तुओं और हरी वनस्पति को काटने के लिए अलग-अलग चाकू व कटिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें।
  • आलू, शकरकंद आदि जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियों पर मिट्टी अधिक होती है, इन्हें छिलका उतारने से पहले व बाद में धोकर ही इस्तेमाल करें।
  • कच्चा मांस व सब्जियों को छूने के बाद हाथों को दूसरी चीज छूने से पहले धो लें।

ऑफिस में आपका डेस्क

  • सुनिश्चित करें कि आपका ऑफिस स्टाफ, दरवाजे के हैंडल, टेबल का ऊपरी हिस्सा व कंप्यूटर के की बोर्ड को साफ रखता है। एंटी बैक्टीरियल सॉल्यूशन से सफाई करना बेहतर होगा।
  • अपने पास हैंड सेनिटाइजर रखें।
  • कॉफी व चाय के मग्स को भी दिन में कम से कम दो बार धुलवाकर इस्तेमाल करें। बेहतर होगा कि कॉमन मग्स व बोतल का इस्तेमाल न करके अपने लिए अलग घर से आएं।
  • अपनी सीट के पास एक टिश्यू रोल अवश्य रखें। जुकाम या खांसी आदि होने पर टिश्यू पेपर प्रयोग करें।
  • नियमित रूप से एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल करें।
  • यदि ऑफिस में कारपेट या सीट के आसपास रग्स बिछे हुए हैं तो उनकी भी नियमित सफाई जरूरी है।
  • ऑफिस डेस्क पर कुछ भी खाते समय पेपर या मेट्स का इस्तेमाल करें। खाना खाने के बाद उसकी सफाई कर लें।
  • इस्तेमाल के बाद टॉयलेट पेपर व नैपकिन आदि को डस्टबिन में ही डालें।

आंकड़ों की बातें

  • 100% रसोई के कपड़े संक्रमित पाए गए
  • 95% रसोई के नल अस्वच्छ पाए गए
  • 85 प्रतिशत नल व उसके आसपास ई.कोली बैक्टीरिया पाया गया जो कि यूटीआई यानी यूरिन ट्रैक इंफेक्शन व डायरिया का सबसे बड़ा कारण होता है
  • 46 प्रतिशत फ्रिज के भीतर बड़ी संख्या में बैक्टीरिया की उपस्थिति देखने को मिली है।
  • 92 प्रतिशत चॉपिंगबोर्ड और चाकू संक्रमित पाए गए

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