featured

जन्मदिन स्पेशल: कभी अपनी कॉमेडी से लोगों को हंसाते हैं तो कभी विलेन बनकर डराते हैं,ये और कोई नहीं अनुपम खेर हैं

अनुपम खेर एक ऐसे कलाकार हैं जो कभी अपनी कॉमेडी से लोगों को हंसाते हैं तो कभी विलेन बनकर डराते हैं, वो हर रोल में फिट बैठते हैं इसलिए उन्हें एक्टिंग स्कूल तक कहा जाता है. आज अनुपम का जन्मदिन है, इस मौके पर हम आपको बताते हैं अनुपम खेर की जिंदगी का सफर

अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में हुआ था उनके पिता पुष्कर नाथ पेशे से क्लर्क थे. अनुपम ने अपनी स्कूल की पढ़ाई शिमला में की. उनके पिता 90 रुपए की सैलरी से पूरे घर का खर्च चलाते थे. पैसों की तंगी की वजह से अनुपम की मां को अपने गहने तक बेचने पड़े.

अनुपम के सपने बचपन से ही काफी बड़े थे, उनके सपनों को पंख लगाने में उस जमाने की दो फिल्मों थीं उपकार और दिल एक मंदिर का काफी योगदान रहा. पांचवीं कक्षा में पढ़ते हुए अनुपम अपने स्कूल में एक्टिंग करने लगे थे, वो अपने टीचर्स की नकल उतारा करते थे.

कॉलेज के दिनों से ही अनुपम के ऊपर एक्टिंग का भूत सवार हो गया था. उन्हीं दिनों अनुपम ने अखबार में एक विज्ञापन देखा जिसमें 100 रुपए में एक्टिंग कोर्स का ऐड निकला था, उस दौर में अनुपम के लिए 100 रुपए काफी ज्यादा थे और उनकी पिता से पैसे मांगने की हिम्मत नहीं थी. बस फिर क्या था, अनुपम ने अपनी मां के मंदिर से पैसे चुराने का फैसला किया. अनुपम ने खुद से कहा कि भगवान कृष्ण माखन चुराते थे, और मैं अपने एक्टिंग करियर के लिए मंदिर से पैसे चुरा रहा हूं.

70 के दशक में पंजाब यूनिवर्सिटी के थियेटर डिपार्टमेंट में उनकी मुलाकात मशहूर बलवंत गार्गी और आमल अनाना के साथ हुई, उनके साथ नाटक करते हुए अनुपम ने ढ़ेर सारी बातें सीखीं.

संघर्ष के उस दौर में उनकी मुलाकात अचानक महेश भट्ट से हुई. महेश को पता था कि अनुपम एक बहुत अच्छे स्टेज अभिनेता हैं, इसलिए उनकी तारीफ करते हुए कहा कि मैंने सुना है तो बहुत अच्छे हो, तब अनुपम ने जवाब दिया आपने गलत सुना है मैं अच्छा नहीं सबसे बेहतर हूं. इस जवाब से महेश अनुपम के कायल हो गए और उन्होंने फिल्म सारांश का ऑफर दिया.

28 साल के अनुपम ने फिल्म ‘सारांश’ में एक वृद्ध का ऐसा किरदार निभाया कि उस दौर के बड़े-बड़े स्टार्स भी दंग रह गए. इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. सारांश की रिलीज के बाद अनुपम को 10 दिन के अंदर ही 100 फिल्मों के ऑफर मिल गए. अनुपम के सपनों के पर मिल गए थे, उसके बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा.

साल 1985 में अनुपम और किरण खेर से शादी कर ली, किरण भी बॉलीवुड अभिनेत्री हैं. दोनों की मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई थी, किरण अनुपम से एक साल सीनियर थी दोनों अच्छे दोस्त थे. किरण शादीशुदा थीं, लेकिन अपनी निजी जिंदगी से बेहद परेशान थीं और परेशानी इतनी बढ़ गई कि उन्हें अपने पति से तलाक लेना पड़ा, बाद में उन्होंने अनुपम से शादी की.

कॉमेडी, ट्रेजडी हर तरह के किरदार में उन्होंने खुद को साबित किया. हर किरदार में इस तरह जान डाल देते कि दर्शक उनकी हर अदा पर तालियां बजाते रहते. 1986 में आई फिल्म ‘कर्मा’ के डॉक्टर डैम को कोई कैसे भूल सकता है, फिल्म का एक डॉयलाग इस थप्पड़ की गूंज को लोग आजतक नहीं भूले.

वहीं ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’ में शाहरुख के पिता का किरदार भी इतना दमदार था, लोग आज भी उसे याद करते हैं, वहीं फिल्म ‘दिल’ में एक कंजूस पिता का किरदार निभाकर अनुपम ने जता दिया कि वो हर किरदार कितनी बखूबी से निभा सकते हैं. अभिनय के साथ-साथ अनुपम निर्देशन से भी जु़ड़े हैं. अनुपम को कई अवॉर्ड से नवाजा गया है। 2004 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया।

Leave a Reply

Exit mobile version