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तनाव और डर से ग्रस्त बच्चों को नियमित कराएं ये आसन…

आज की जीवनशैली सिर्फ बड़ों को ही नहीं बच्चों को भी काफी प्रभावित कर रही है। कड़ी प्रतिस्पर्धा का यह दौर बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। बहुत ही कम उम्र में तनाव और भय से ग्रस्त बच्चे अब आत्महत्या जैसे कदम उठाने से भी नहीं हिचक रहे हैं। हर दिन अखबारों में बच्चों और किशोरों की आत्महत्या की खबरें इस बात का प्रमाण हैं कि इस जीवनशैली के तनाव को बच्चे झेल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों पर, उनकी गतिविधियों पर तथा उनकी परेशानियों पर खास ध्यान दें।

उनसे बात करके, उनकी समस्याओं को सुलझाकर उनके मन के डर को दूर करने की कोशिश करें। उनके मन के डर और तनाव को दूर करने के लिए योग का सहारा भी लिया जा सकता है। योग में कुछ ऐसे आसन हैं जो बच्चों में आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ाने का काम करते हैं। इन आसनों को करने से दिमाग शांत होता है तथा तनाव कम करने में मदद मिलती है।

वीरभद्रासन – वीरभद्रासन करने से मन शांत रहता है। यह पाचन को बढ़ावा देता है तथा बच्चों में डर और चिंता को दूर करने का काम करता है। वीरभद्रासन करने के लिए सबसे पहले सीधे तनकर खड़े हो जाइए।। अब अपने दाएं पैर को 2 से 4 फिट तक आगे ले जाए। दाएं घुटने को हल्का-सा मोड़ दें और इस बात का ध्यान रखें कि बायां पैर सीधा हो तथा उसका तलवा जमीन के साथ लगा हुआ हो। गहरी सांस को लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। अपने कंधों को आरामदायक स्थिति में रहने दें। दोनों कानों को अपने कंधे के पास न आने दें। अपनी सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए पूर्वावस्था में आ जाएं।

वृक्षासन – एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने के लिए यह आशन किया जा सकता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखें और हाथों को ऊपर उठाएं। इसे सीधा करके हथेलियों को आपस में मिला दें। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। इस स्थिति के दौरान दाहिने पैर की एड़ी गुदा द्वार-जननेंद्री के नीचे टिकी होगी। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। यह स्थिति वृक्षासन की है।

शवासन – इस आसन को करने के लिए अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं। पैर सीधे रखें। अपने दोनों हाथों को शरीर से कम से कम 5 इंच की दूरी पर इस तरह रखें कि दोनों हाथ की हथेलियां आसमान की दिशा में हो। अब शरीर के हर अंग ढीला छोड़ दें। आंखें बंद कर लें। पूरा ध्यान सांसों पर लगाएं।

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