featuredफेसबुक अड्डामेरी कलम से

“””””””””””””””””फेसबुक और नमूने”””””'”””””””””

Source :Viwe Source

आप तो समझ गए होंगे की इस फेसबुक को लेकर मेरे मन में क्या द्वन्द चल रहा है। अरे कहीं आप वो तो नहीं जो अपनी फोटो डाल कर ग़ालिब की चार लाइने कॉपी पेस्ट कर के खुद को अति सुंदर और शायराना मिजाज का प्रदर्शित करते हो,और कहीं वो मोहतरमा तो नहीं हो जो अपना अच्छा भला मुह जैसा टेढ़ा -मेढ़ा बनाकर लाइक्स और कमेंट्स के लिए भूखी रहती हो,अगर आप वही हो तो ज़रा संभल कर मिर्ची लग सकती है और आप बुरा मान सकते हो।लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं मुझे तो कभी कभी काफी शर्म भी आती है के मेरे निकटतम और काफी करीब के लोग भी ऐसे फेसबुकिया चिल्लर बने हुए हैं खैर मुझे तो कुछ कहना है। बात यह है की मार्क ज़ुकेर्बर्ग ने फेसबुक का निर्माण अपने चार दोस्तों के साथ किया।उनको इस व्यस्त दुनिया में अपने इस निर्माण के खो जाने का डर भी था,,लेकिन मार्क को ये नहीं पता था हिन्दुस्तान भेड़िया धसान वाला मुल्क है यहाँ पर ऐसे फसबुकिया लैम्पू और मुहँ आँखों को विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित करने को उत्तेजित महिलाएं जन्म ले चुकी हैं।मैं भी इस क्रियाकलाप से अछूता नहीं हू।लेकिन लिख तो सकता ही हूं। अब भारतीय बाज़ार में फेसबुक उतर चुका था। स्टेटस सिम्बल बन चुका था।फेसबुक का उपयोग करने के कई तरीके भी हैं।यह एक सोशल मीडिया है अर्थात संचार माध्यम।लेकिन फेसबूक पर अपनी निजी जिंदगी को प्रदर्शित करते युवक और युवतियों को देख कर कभी कभी हसी, तरस, दुःख और कई प्रकार की संवेदनाएं उत्पन्न होती हैं। फेसबुकिया जाहिल आपको भी लाइक्स और कमेंट्स से ही तवज्जों देते हैं,जिसके जितने ज्यादा लाइक वो उतना उच्च श्रेणी का व्यक्ति घोषित किया जाता है इनके द्वारा।अनुमानत:पूरे भारत में 5% फेसबुकिये ही फेसबुक की क्रियात्मकता के बारे में जानते हों। सबसे बड़ी समस्या टैग वालों से है मुझको।अब इन जाहिलों को कौन बताये की भाई आपकी खुद की सेल्फी को मुझे चिपकाने की क्या जरुरत है।अरे चिपकाना है तो कोई लेख या विचार चिपकाओ जिस पर मेरी भी प्रतिक्रया हो।और खुद की फोटो शेयर करने वाला जाहिल तो नर्क में भी जगह नहीं पायेगा।”पहले जब शादी के लिए लड़की या लड़का देखने जाते थे तो फोटो जाती थी,अब कोई जरुरत नहीं है शिद्दत से खोजो तो फेसबुक पर टेढ़ा -मेढ़े मुँह वाली सल्फी मिल ही जायेगा। शादी शुदा महिलाओं के लिए शादी के बाद अपनी भटकती और गुजरती हुई खूबसूरती और भव्यता को दिखाने एवं अपने परिवार व पति को छोड़कर गैर अन्य फेसबुकिया यार व मित्रों के कमेट्स व लाइक्स की कीमत तुम क्या जानोे सुरेश बाबू” ।व्यक्ति के विचार उसकी करतूत से भी झलकते हैं और ऐसे चिंकी पिंकी कैंडी पिज्ज़ा बर्गर वाले लोग हैं हैं इनके विचार, इनके फोटो पर कॉपी पेस्ट किये हुए चार लाइनों को पढ़ कर ही बताये जा सकते हैं।और हाँ कुछ लोग तो वो भी हैं जो ना जाने कौन कौन से लिंक को क्लिक करके कभी खुद को विश्व बैंक का सीईओ कभी आईएस आफिसर बनकर भी कहर ढाते हैं भगवान् इन महानभावों को सद्बुद्धि दे। और हर मिनट पर सेल्फीयाने वाले जल्लादों से भगवान् ही बचाए।आखिर कौन सा परिवर्तन आपके चेहरे पर हर मिनट होता है जो आप दुनिया को दिखाने को आतुर हो,गरुण पुराण के अनुसार ऐसों को तो उलटा लटका कर कायदे से हुर्पेसा जयेगा।फेसबुक का इस्तेमाल आप करो और ढंग से करो आपके विचार और आपके द्वारा गयी हुई कोई अच्छी और कोई नयी जगह देखने को हर कोई पसंद करेगा लेकिन जो सेल्फियाने का हुतियापा है इसको हो सके तो बंद कर दो नहीं तो भगवान् को क्या मुह दिखाओगे की अच्छा भला मुह कहाँ से दाहिनियाँ लाये हो। अभी हाल ही में फेसबुक के दुरूपयोग की कई घटनाएं सामने आई हैं।कई परिवार भी विखंडित हुए हैं कई युवक युवतियों ने तो अपनी जान भी गवाई हैं। मेरे मित्रों आप भी इस फेसबुक का उपयोग करना सीख लीजिये और कृपया यह याद रखिये इस पर की गयी कोई भी नादानी आपका और आपसे जुड़े लोगों का भविष्य भी खराब कर सकती है।और हाँ जो भी लैम्पू मेरी बातों से असहमत हैं और उनको समस्या है वो तुरंत मुझे अपने मित्रता सूची से हटाकर वो तुरंत मुझको ब्लाक कर सकते हैं, और भविष्य में अपने मुह का दर्शन टैग करके न करायें अगर मेरी इच्छा हुई तो मैं खुद तुम्हारे वाल पर आकर तुमको लाइक रुपी आशीर्वाद दूंगा जिसके लिए तुम परेशान हुए जा रहे हो। मैं तो यह भी जानता हूँ अभी कई बकलोल मुझको पिछड़ी, गवाँर और रूढ़िवादी सोंच का बतायेंगे तो इससे मुझको फर्क नहीं।।
“बात जुबान से निकलीं है, तो दूर तलक जायेगी”
Note-अपने विचार जरूर रखें,ज्यादा नाराजगी हो तो गाली भी दे सकते हैं
यह मेरा आप सभी को अन्तिम टोचन अर्थात टैग है।
और हाँ इसका व्यक्तिगत रूप से किसी का भी कोई सम्बन्ध नहीं है।और अगर होता है तो मात्र संयोग माना जाएगा।

Leave a Reply

Exit mobile version