Delhi's air is difficult to breathe!
दिल्ली और एनसीआर में अभी भी धूल का गुबार छाया हुआ है. लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है. केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अनुमान व्यक्त किया है कि अगले तीन दिन तक यह धूल का गुबार छाया रह सकता है. मंत्रालय के अनुसार, राजस्थान में आई धूल भरी आंधी के कारण दिल्ली के ऊपर धूल भरी धुंध छाई हुई है. यहां हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर से नीचे चली गई.
लगातार पानी के छिड़काव का आदेश
मंत्रालय ने इन दिनों दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने को अस्वाभाविक बताते हुए कहा कि इसकी मुख्य वजह राजस्थान में आने वाली धूल भरी आंधी है. उसके कारण दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से हवा में मिले धूलकण जमीन से कुछ ऊंचाई पर जमा हो जाते हैं. हवा की गुणवत्ता को बिगड़ते देख केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य इकाई के माध्यम से स्थानीय निकायों और निर्माण क्षेत्र से जुड़ी एजेंसियों से लगातार पानी का छिड़काव करने को कहा है जिससे धूल को उड़ने से रोका जा सके.
लोग खुले में न घूमे
साथ ही, दिल्ली के मुख्य सचिव को इस दिशा में सभी संबधित एजेंसियों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने को कहा है. इस बीच, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थिति से निपटने के लिए संबंधित विभागों के साथ बैठक कर स्थिति से निपटने के लिए एंटी वायु प्रदूषण कदम उठाने को कहा है. साथ ही लोगों को अधिक समय तक खुले में निकलने से बचने का भी परामर्श जारी किया है.
मार्च से मई के बीच जहर हो गई दिल्ली की हवा
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में मार्च से मई के बीच वायु गुणवत्ता ‘खराब से बहुत खराब स्तर’ के बीच रही. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के आलोक में सीपीसीबी ने मासिक आंकड़े जारी किए हैं, जो पिछले तीन महीनों में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को दिखाते हैं. ये रिपोर्ट दिखाती है कि मार्च से मई के बीच कई बार वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 या उससे ऊपर पहुंच गया.
वायु गुणवत्ता सूचकांक अगर 0-50 के बीच हो तो उसे अच्छा, 51-100 हो तो संतोषजनक, 101 से 200 के बीच हो तो मध्यम, 201-300 हो तो खराब, 301 से 400 के बीच हो तो बहुत खराब और 401-500 हो तो गंभीर माना जाता है.