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मदरसे में दावत खाकर 30 छात्र हुए बीमार, हॉस्पिटल में भर्ती….

महाराष्ट्र के भिवंडी में संदिग्ध विषाक्त भोजन करने से एक मदरसे के कम से कम 30 छात्र बीमार हो गए। भिवंडी के तहसीलदार शशिकांत गायकवाड़ ने बताया कि मंगलवार दोपहर को किसी व्यक्ति ने मदरसे में दावत का आयोजन किया था। भोजन के बाद छात्रों को उल्टी आने, जी मिचलाने, पेट दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद उन्हें तत्काल सरकारी आईजीएम अस्पताल ले जाया गया। सभी छात्रों की आयु 12 से 15 के बीच है। उन्होंने बताया कि बाद में कुछ बच्चों की हालत बिगड़ने लगी जिसके बाद उन्हें मुंबई के नायर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

गायकवाड़ ने बुधवार रात अस्पताल का दौरा किया और बताया कि सभी बच्चों की हालत खतरे से बाहर है। घटना की जांच की जा रही है। वहीं कुछ दिनों पहले मदरसों पर आतंकवाद का आरोप लगाकर उन्हें बंद करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुजारिश करने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने खुद को माफिया सरगना दाऊद इब्राहीम के गुर्गे द्वारा फोन पर धमकी दिए जाने का दावा किया था। रिजवी ने सआदतगंज थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में दावा किया था कि उन्हें दाऊद इब्राहीम के गुर्गे ने फोन करके कहा कि वह मौलवियोंसे माफी मांगे, नहीं तो उनके परिवार को बम से उड़ा दिया जाएगा।

रिजवी ने कहा था कि उन्होंने इस बारे में सआदतगंज थाने में मामला दर्ज कराया है। मालूम हो कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रिजवी ने गत आठ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को ‘मानसिक कट्टरवाद’ को बढ़ावा देने वाला बताते हुए उन्हें स्कूल में तब्दील करने और उनमें इस्लामी शिक्षा को वैकल्पिक बनाने का अनुरोध किया था।

रिजवी ने पत्र में दावा किया था कि मदरसों में गलत शिक्षा मिलने की वजह से उनके विद्यार्थी धीरे-धीरे आतंकवाद की तरफ बढ़ जाते हैं। देश के ज्यादातर मदरसे जकात में दिए गए धन से ही चल रहे हैं और यह धन बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से भी आ रहा है। यहां तक कि कुछ आतंकवादी संगठन भी मदरसों को माली मदद पहुंचा रहे हैं। उन्होंने पत्र में कहा था, ‘‘केंद्र सरकार से अनुरोध है कि भारत में मदरसा बोर्डों को समाप्त कर सभी मदरसों को स्कूल की श्रेणी में तब्दील कर दिया जाए और ऐसे स्कूलों को राज्य शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से पंजीकृत कराया जाए। ताकि मुस्लिम समाज के बच्चों को अपने निजी स्वार्थ और कट्टरपंथी मानसिकता के चलते मानसिक शोषण कर रहे कुछ संगठनों और कुछ मौलवियों की साजिश से बचाया जा सके।’’

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