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जाह्नवी और ईशान की ‘धड़क’ में धड़कन नहीं है: फिल्म रिव्यु

Jahnavi and Ishaan’s ‘beats’ do not have a beating: movie review

जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर की फिल्‍म ‘धड़क’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर को इससे पहले ईरानी निर्देशक माजिद मजीदी की फिल्‍म ‘बियोन्‍ड द क्‍लाउड्स’ में अपनी एक्टिंग की परीक्षा दे चुके हैं. लेकिन यह पहला मौका होगा, जब श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर की एक्टिंग का टेस्‍ट दर्शकों के सामने आया है. दरअसल करण जौहर के प्रोडक्‍शन में बनी फिल्‍म ‘धड़क’, साल 2016 में रिलीज हुई मराठी की ब्‍लॉकबस्‍टर फिल्‍म ‘सैराट’ का हिन्‍दी रीमेक है. ऐसे में यह तो साफ है कि इस फिल्‍म को ‘सैराट’ के पैमाने पर ही मापा जाएगा. ऐसे में ‘धड़क’ की बात करें तो इस फिल्‍म ने ‘सैराट’ की कहानी तो ली है, लेकिन आत्‍मा और फिल्‍म की फील को छूने में यह उतनी सफल नहीं रही है.

कास्‍ट: ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर, अशुतोष राणा, आदित्‍य कुमार, खराज मुखर्जी
निर्देशक: शशांक खेतान
स्‍टार: 3 स्‍टार

फिल्‍म ‘धड़क’ मधु (ईशान खट्टर) और पार्थ्‍वी (जाह्नवी कपूर) के बीच के प्‍यार की कहानी है. मधु, जहां एक सामान्‍य परिवार का लड़का है, जबकि पार्थ्‍वी उदयपुर के एक रसूखदार पॉलीटिशन पिता की बेटी है जिसके पास सबकुछ है. यह दोनों अलग जाति से हैं, इनकी आर्थिक स्थिति अलग है लेकिन फिर भी यह दोनों प्‍यार करते हैं और यही इस मासूम प्‍यार की गलती है. शुरुआत के कुछ रंगीन पलों के बाद पार्थ्‍वी के पिता अपनी बेटी को मधु के साथ देख लेते हैं और उन्‍हें पुलिस में अरेस्‍ट करा देते हैं. अपने प्‍यार के लिए मधु और पार्थ्‍वी कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं और करते भी हैं. लेकिन आखिर में इन्‍हें यह प्‍यार मिलता है या नहीं और उनके इस प्‍यार के साथ समाज क्‍या करता है, यह देखने के लिए आपको सिनेमाघरों तक जाना होगा.

निर्देशक नागराज मंजुले की ‘सैराट’ महाराष्‍ट्र की देसी मिट्टी में रची-बसी एक कहानी थी, जिसकी सबसे बड़ी सफलता इस कहानी की सच्‍चाई थी. लेकिन पर्दे पर ‘लार्जर देन लाइफ’ कैनवास उतारने वाले करण जौहर से हम शायद उतनी देसी फिल्‍म की उम्‍मीद नहीं कर सकते. उनकी फिल्‍में लाइट, कलर और करोड़ों की बातें करने वाले किरदारों की होती हैं. ऐसा ही कुछ ‘धड़क’ के साथ भी किया गया है. ‘धड़क’ रंग-बिरंगी है, जिसमें ‘सैराट’ की कहानी है लेकिन वह उतनी देसी नहीं है. ईशान खट्टर एक अच्‍छे एक्‍टर हैं और उन्‍होंने इस फिल्‍म में भी अच्‍छी एक्टिंग की है. लेकिन वह चाहकर भी उतने गरीब नहीं लग पाए हैं. एक्टिंग के मामले में ईशान को पर्दे पर देखना अच्‍छा लगता है. वहीं जाह्नवी कपूर के लिए अभी राह काफी लंबी है. वह अपने किरदार में काफी कड़क और ‘सैराट’ की अर्ची की तरह बिंदास लगने की कोशिश करती रही हैं, लेकिन वह अर्ची जैसी ‘लेडी दबंग’ नहीं लग पायी हैं. वह पर्दे पर काफी खूबसूरत लगी हैं, इससे इंकार नहीं किया जा सकता. हालांकि अभी से जाह्नवी की तुलना उनकी मां श्रीदेवी से करना गलत होगा, लेकिन जाह्नवी को अभी काफी मेहनत करनी हैं.

निर्देशक शाशांक खेतान इससे पहले ‘बद्रीनाथ की दुल्‍हनिया’ और ‘हंपटी शर्मा की दुल्‍हनिया’ जैसी फिल्‍में बना चुके हैं. लेकिन उनकी फिल्‍मों में प्‍यार में आई हर मुसीबत के बाद आखिर में हैप्‍पी ऐंडिंग हो ही जाती है. लेकिन ‘सैराट’ आपको खुश करने के लिए बनाई गई फिल्‍म नहीं थी और ऐसे में खेतान के लिए उसके रीमेक यानी ‘धड़क’ में उस फ्लेवर को बनाए रखना काफी बड़ी चुनौती थी. जैसे ‘सैराट’ में अर्ची का लड़कों को कुंए से बाहर निकालकर अपनी सहेलियों के साथ वहां जाना. लेकिन राजस्‍थान में फिल्‍माई गई ‘धड़क’ में इस सीन को हूबहू रखा गया है. बस, कुंए की जगह तालाब ने ले ली है. लेकिन झीलों की नगरी में इसी तालाब पर मधु कैसे पहुंचता है, ये समझ नहीं आता. इस फिल्‍म का फर्स्‍ट हाफ अच्‍छा है, मजेदार लगता है. लेकिन सैकंड हाफ में काफी ठंडापन आ जाता है. हां, अगर आपने ‘सैराट’ देखी है तो हम बता दें कि इस फिल्‍म के क्‍लाइमैक्‍स में आपको नयापन देखने को मिलेगा. दरअसल ‘धड़क’ दो स्‍टार किड्स को बॉलीवुड में लॉन्‍च करने के लिए बनाई गई फिल्‍म है. लेकिन इस फिल्‍म की असली आत्‍मा जैसे कहीं खो गई है.

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