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जानिए क्या है रुद्राक्ष धारण करने के फायदे…

रुद्राक्ष के आकार और रुप के मुताबिक अलग-अलग प्रभाव और फल देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुदाक्ष पापनाशक और शिव के साथ शक्ति को प्रसन्न करने वाला भी माना जाता है।रुद्राक्ष वैसे तो एक जंगली फल माना जाता है, जो बेर के आकार का दिखाई देता है। इसकी उत्पत्ति अधिकतर हिमालय में होती है। रुद्राक्ष का फल जामुन के फल के जैसा नीले रंग और बेर स्वाद का होता है। ये अलग रंगों और आकार में मिलता है। जब रुद्राक्ष का फल सूख जाता है और उसके ऊपर का छिलका उतर जाता है। इसके अंदर से गुठली प्राप्त होती है। यही रुद्राक्ष का असली रुप होता है। इस गुठली के ऊपर 1 से 14 संख्या तक की धारियां बनी होती हैं। इन धारियों को ही मुख कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं के हुई थी। माना जाता है कि भगवान शिव ने अपने मन को वश में करके दुनिया के कल्याण के लिए सैकड़ों सालों तक तप किया था, लेकिन अचानक ही उनका मन बहुत दुखी हो गया था। जब उन्होनें अपनी आंखें खोली तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदें गिर गईं। इन्हीं आंसूओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। भगवान शिव हमेशा ही अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। उनकी लीलाओं के कारण आंसू ठोस आकार लेकर जड़ बन गए। भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रुद्राक्ष धारण किया जाता है।

रुद्राक्ष धारण करने के फायदे-
ये बात वैज्ञानिक भी मानते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने से कई शाररिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। वैज्ञानिक परिक्षण में साबित हुआ है कि रुद्राक्ष हृदय रोग में बहुत लाभदायक होता है। उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित होता है। मंत्र-विधान के साथ पहना हुआ रुद्राक्ष शोक, रोग, चोट, बाहरी प्रभाव, विष प्रहार, असौन्दर्य, बांझपन, नपुंसकता आदि खत्म हो जाते हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से स्त्री हत्या का पाप समाप्त होता है। इसके अलावा सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति मिलती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष पानी में डूबे तो असली होता है व्रत-उपवास, तंत्र-मंत्र, पेड़-पौधों की सेवा और दान आदि करने से पाप कटते हैं और मनोकामना पूरी होती है।

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