महिलाएं के पैरों में की उंगलियों में बिछिया तो सभी ने देखी होगी, इसे अंतिम आभूषण की तरह दोनों पैरों की तीन उंगलियों में पहनने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि एक सुहागन महिला के 16 श्रृंगार बिछिया और माथे के टीके के बीच होते हैं। सोने का आभूषण टीका आत्म कारक सूर्य और चांदी का बिछिया चंद्रमा का कारक माना जाता है। महिलाओं का बिछिया पहनना केवल उनके शादीशुदा होने का प्रतीक नहीं होता है इसके पीछ कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। सामाजिक मान्यताएं इसे शुभ और अशुभ संकेतों से जोड़ती हैं लेकिन कई ऐसे वैज्ञानिक कारण हैं जिनके कारण बिछिया पहनने से महिलाओं का स्वास्थय नियंत्रित रहता है। भारतीय वेदों के अनुसार माना गया है कि बिछिया दोनों पैरों में पहनने से महिलाओं का मासिक चक्र नियमित रहता है।
बिछिया एक्यूप्रेशर का काम भी करती हैं। जिससे पैरों के तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नसें और मांसपेशियां संतुलित रहती हैं। इसके साथ ही माना जाता है कि पैर की दूसरी उंगली की नस गर्भाशय से जुड़ी होती हैं। इससे गर्भाश्य संतुलित रहता है और ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है। इसके साथ ही ये माना जाता है कि पैरों में बिछिया महिलाओं में प्रजनन की शक्ति को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। आयुर्वेद में मर्म चिकित्सा के अंतगर्त बिछिया को महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने में कारक बताया गया है। माना जाता है कि साइटिक नाम की नस बिछिया के कारण दबती है जिसके कारण आस-पास की नसों में रक्त का तेज प्रवाह होता है। जिससे महिलाओं के यूटरस, ब्लैंडर और आंतों में पूर्ण रुप से रक्त का प्रवाह होता है।
हिंदू ग्रंथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था तब सीता ने अपने पैरों के बिछिया रास्ते में फेंक दिए थे जिससे राम उनकी पहचान कर सकें। इसी कथा के अनुसार माना जाता है कि बिछिया का प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है। चांदी एक ठंडक पहुंचाने वाली धातु है जो ध्रुवीय उर्जा को शरीर तक सुचारु रुप से प्रवाहित करती है। चांदी की बिछिया शरीर से और आस-पास की नकारात्मक शक्ति को शरीर से दूर करती है और व्यक्ति को तनाव से मुक्ति दिलाती हैं। मछली की आकार की बिछिया सबसे असरदार मानी जाती है।