featuredमेरी कलम से

मेरी अधूरी हसरतें

SI News Today

  

आज बहुत दिनों बाद तुम याद आये,
न जाने क्यूँ वो आंसू बरबस निकल गए,
पुरानी यादों के समंदर से निकले जो कुछ,
बस तुमसे मिलने को हम मचल गए..

यादों में रह गया बस वो गोलगप्पे खाना,
फिर अपनी जूती से मेरे जूतों को दबाना.
वो IT के चौराहों पर Ice-Cream खाना,
फिर तुमको गाड़ी चलाना सिखाना..

 

नोटों के ऊपर लिखना,
डायरी में उलटे सीधे नमूने बनाना..
घंटो फालतू बातें सुनाकर बोर करना,
भूतों की फिल्में दिखाकर मुझे डराना…

तुम्हे शायद पता न हो मगर,
हम आज भी उन्ही कपड़ों में शान से घूमते हैं.
हम आज भी उन्ही जूतों का इस्तेमाल करते हैं ,
उनपर हाथ फेरकर तुम्हे महसूस करते हैं..

ये सब करने की एक वजह ये भी थी कि,
मेरे ये सारे काम तुम मेरे लिए करते थे,
जब पूछते हम तुमसे कि क्यूँ करते हो,
तो बोलते आप करो सबके लिए हम आपके लिए करते हैं..

अपनी जेब से डेबिट कार्ड निकाले ज़माने हो गए थे,
तुम खुद मुझे लाइन से बाहर कर लग जाते थे..
अब तो न मॉल अच्छा लगता है न सिनेमा,
क्यूंकि इन सब जगहों में तुम याद आ जाते थे..

मेरा बर्थडे शान से मनाएगा कौन,
मुझे हर साल नए तोहफे दिलाएगा कौन..
अपने हर बर्थडे पर झगड़ा कर लेती थी,
अब अपनी उम्र 20 साल छोटा बताएगा कौन…

तुम चले गए मुझे ऐसे छोड़कर,
क्या गुनाह हुआ था हमसे..
हम गुम हो जायेंगे अंधेरों में,
हर पल वास्ता हो गया ग़म से..

कोई क्यूँ ऐसा करता है कि,
हर वादे निभाने की कसमें लेता है..
जब जरुरत हो सबसे ज्यादा उसकी,
उसको उसके ऐसे पल में छोड़ देता है..

मगर कोई बात नहीं मेरे कातिल,
महफूज है दिल में तेरी हर बात,
वो तेरे तोहफे और उनके हिस्से,
मेरी जिंदगी का सहारा बने हुए हैं ये जज़्बात..

Copyrights – @TheSuneelMaurya

the authorSunil Maurya
Karm se Engineer Mun se Social Activist

Leave a Reply

Exit mobile version