श्रीदेवी ने चार साल की उम्र से ही फिल्में करना शुरू कर दिया था, लेकिन उन्हें बॉलीवुड में एक एक्ट्रेस के रूप में पहचान ‘मिस्टर इंडिया’ से मिली। इससे पहले वह तोहफा (1984) और मास्टरजी (1985) कर चुकी थीं। 1987 में शेखर कपूर ने उन्हें मिस्टर इंडिया में अनिल कपूर की हीरोइन बनाया। इस फिल्म में काम करते हुए बोनी कपूर ने शेखर कपूर को चैलेंज दिया कि श्रीदेवी को फिरोज खान ने पर्दे पर साड़ी में जितना सेक्सी दिखाया, उतना कोई नहीं दिखा सकता। बोनी जांबाज (1986) फिल्म में श्रीदेवी पर फिल्माए गए गाने ‘हर किसी को नहीं मिलता…’ में श्रीदेवी के लुक की बात कर रहे थे। मिस्टर इंडिया के डायरेक्टर शेखर कपूर ने बोनी की चुनौती स्वीकार की। उन्होंने श्रीदेवी को नीली साड़ी पहना कर उन पर ‘काटे नहीं कटते ये दिन ये रात…’ गाना रिकॉर्ड करवाया। बोनी कपूर ने जब यह गाना देखा तो वह मान गए कि शेखर कपूर जीत गए।
उन दिनों बोनी कपूर के लिए श्रीदेवी उनकी फिल्म मिस्टर इंडिया की हीरोइन भर थीं। श्रीदेवी तब मिथुन चक्रवर्ती से जुड़ी थीं। मिथुन भी शादीशुदा थे। बोनी भी शादीशुदा थे। हालांकि, पत्नी मोना से उनके रिश्ते उन दिनों ठीक नहीं चल रहे थे। माना जा रहा था कि बोनी और श्रीदेवी के दिल में एक-दूसरे के लिए कुछ था। मिथुन ने भी इसे भांप लिया। उन्होंने श्रीदेवी से कहा कि वह जाहिर करें बोनी उनके लिए भाई समान हैं। तब श्रीदेवी ने बोनी को राखी बांध कर मिथुन को यह यकीन दिलाया था। लेकिन, अंतत: श्रीदेवी और मिथुन की नहीं बनी। मिथुन की पत्नी किसी सूरत में तलाक के लिए तैयार नहीं थीं। पति की दूसरी शादी करने की स्थिति में भी नहीं और श्रीदेवी को एक घर में सौतन के साथ रहना गंवारा नहीं हो सकता था। सो, दोनों की राहें जुदा हो गईं। तब बोनी और श्री भावनात्मक रूप से एक-दूसरे के ज्यादा करीब आते गए और अंतत: पति-पत्नी बन गए।