श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के एक शिविर पर हमले के तीसरे आतंकी का शव सोमवार (1 जनवरी) को सुरक्षाबलों ने बरामद कर लिया. इसके साथ ही सुबह से शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन भी खत्म हो गया. हमले में शामिल दो आतंकियों के शव रविवार (31 दिसंबर) को ही बरामद कर लिए गए थे. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के एक शिविर पर बीते रविवार (31 दिसंबर) भोर से पहले भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने हमला कर दिया था जिसमें पांच जवान शहीद हो गये थे. सीआरपीएफ के मुताबिक, ‘रात करीब दो बजे भारी हथियारों से लैस आतंकवादी शिविर में घुस आये थे. वे अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर और स्वचालित हथियारों से लैस थे.’
यादव ने बताया कि आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें सीआरपीएफ के तीन जवान घायल हो गए थे. अधिकारियों ने बताया कि घायल कर्मियों में एक की पहचान नौगाम निवासी सैफुद्दीन के तौर पर हुई थी. पुलिस महानिदेशक एस पी वैद ने बताया कि सुरक्षा बलों को पिछले तीन दिनों से कश्मीर घाटी में आतंकी हमले के बारे में खुफिया सूचनाएं मिल रही थी. हमले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए वैद ने कहा था, ‘पिछले दो-तीन दिनों से खुफिया सूचनाएं थी. वे (आतंकी) मौके की ताक में थे. शायद उन्हें पहले घुसने का मौका नहीं मिला. इसलिए उन्होंने रात को हमला किया.’ शिविर में कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों के मुकाबले के लिए जवानों को शामिल करने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र भी चलाया जा रहा है. इस शिविर में जम्मू कश्मीर पुलिस की एक टीम भी स्थित है.
जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 2017 में कुल 206 आतंकियों को मार गिराया, जबकि 75 अन्य को हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए राजी किया गया. राज्य पुलिस प्रमुख एस.पी. वैद ने रविवार (31 दिसंबर, 2017) को इस बात की जानकारी दी. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुलिस महानिदेशक वैद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में 2017 के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ को लेकर कई गलतफहमियां थीं. उन्होंने कहा, “मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह अभियान केवल आतंकियों को मार गिराने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी शुरू किया गया था.”
वैद ने कहा, “इस साल, हमने 206 आतंकियों को मार गिराया और साथ ही हम 75 युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने में कामयाब रहे, जो या तो आतंक के साथ जुड़ चुके थे या फिर जुड़ने वाले थे. इन्हें छोड़कर, सात युवा ऐसे थे जो अपने परिवारों द्वारा हमारे प्रति समर्थन को देखकर हथियार त्यागकर वापस आ गए.”