फिल्म में सलमान खान ने ऐसे पहाड़ी नौजवान लक्ष्मण सिंह बिष्ट की भूमिका निभाई है जो भोलाभाला है, पढ़ाई में कमजोर और दुनियावी चीजों में फिसड्डी। एक बावला शख्स। ट्यूबलाइट कह कर उसका मजाक उड़ाया जाता है। उसके मां और पिता बचपन में ही गुजर गए। उसे अपने छोटे भाई भरत सिंह बिष्ट (सोहेल खान) का ही सहारा है जो उसकी देखभाल करता है। लेकिन जब भरत सिंह बिष्ट फौज में भर्ती हो जाता है तो लक्ष्मण की दुनिया बदल जाती है। वह भी फौज में जाना चाहता है लेकिन जैसी कि उसकी शख्सियत है उस वजह से उसे वहां भर्ती नहीं किया जाता। अब लक्ष्मण क्या करे? चीन से युद्ध शुरू हो चुका है और उसे भरत की चिंता होती है? क्या भरत सही सलामत लौट पाएगा? गांव के बन्ने चाचा (ओमपुरी) गांधी जी का हवाला देकर कहते हैं कि यकीन करो तो चट्टान हिल जाएगी। लक्ष्मण खुद पर यकीन करना शुरू कर देता है। क्या सचमुच इस यकीन का नतीजा निकलेगा और भरत युद्ध से जिंदा लौटेगा?
‘ट्यूबलाइट’ मेक्सिको के फिल्मकार अलेजांद्रो गोमेज मोंतेवेर्दे की फिल्म ‘लिटलबॉय’ (2015) का हिंदी रूपांतर है। यह 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर है लेकिन युद्धविरोधी फिल्म है। युद्ध के दृश्य नाम मात्र के हैं। फिल्म बताती है कि युद्ध होते रहते हैं लेकिन किसी को दुश्मन मानना न तो सही है और न मानवता के अनुकूल। चीनी अभिनेत्री जू जू ने इसमें चीनी मूल की लिलिंग नाम की ऐसी महिला का किरदार निभाया है जिसका परिवार लंबे समय से भारत में रह रहा है लेकिन युद्ध के कारण उसे और उसके परिवार को संदेह की निगाह से देखा जाने लगा है। उसका एक बच्चा गुओ (माटिन रे टांगू) भी है। वह सहज ढंग से ‘भारत माता की जय’ बोलता है लेकिन मां-बेटे की देशभक्ति संदिग्ध मानी जाती है। लक्ष्मण पहले इन मां-बेटों को चीनी जानकर दुश्मन मानता है लेकिन बन्ने चाचा जब उसे गांधी जी के उस कथन का हवाला देते हैं जिसमें कहा गया है कि आंख के बदले दूसरे की आंख लोगे तो पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी, तब से लक्ष्मण का रवैया बदलने लगता है। वह गांधीवादी बन जाता है।
फिल्म में सलमान परंपरागत छवि नहीं है। न मारधाड़ और न कमीज उतारकर अधनंगे बदन खलनायकों की पिटाई करने वाले हीरो की। इसके बावजूद फिल्म में एक मासूमियत है। यह बॉक्स आॅफिस पर कितनी सफल होगी, ये अलग मसला है लेकिन फिल्म की सोच में ईमानदारी है। एक ऐसे समय में जब युद्धोन्माद फैलाए जाने की कोशिशें होती रहती हैं, ‘ट्यूबलाइट’ एक सकारात्मक संदेश देती है।