मद्रास हाईकोर्ट में शुक्रवार को उस वक्त हंगामा हो गया जब जस्टिस आर माधवन ने गरजते हुए कहा कि मैं इस व्यक्ति को तुरंत जेल भेज सकता हूं। मैं पुलिस वालों को आदेश दूंगा कि वो इसे अभी जेल ले जाएं।
जस्टिस माधवन उस वक्त नाराज हो गए जब एक व्यक्ति ने कोर्ट में दावा किया कि वो पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत एआईडीएमके नेता जयललिता का बेटा है। जयललिता का 5 दिसंबर 2016 को निधन हो गया था।
खुद को जयललिता का बेटा कहने वाले शख्स का नाम जे कृष्णमूर्ति है। उसने कोर्ट में कहा कि वो जयललिता और दिवंगत तेलुगु ऐक्टर शोभन बाबू का बेटा है। कृष्णमूर्ति ने अदालत में कई सारे दस्तावेज भी दाखिल किए, जिसमें उसको गोद लिए जाने के कागजात भी शमिल हैं।
खुद को जयललिता का गुप्त बेटा बताते वाले शख्स ने अदालत से मांग की कि उसे जयललिता का बेटा घोषित किया जाए। इसके साथ ही उनकी सारी संपत्ति और प्रसिद्ध पोज गार्डन भी उसके नाम किया जाए। इसके साथ ही उसने अदालत से पुलिस प्रमुख को उसको सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश देने को कहा।
कृष्णमूर्ति ने अदालत में कहा कि वो डरा हुआ है क्योंकि जयललिता के सहयोगियों और एआईडीएमके की महासचिव की तरफ से उसको धमकियां मिल रही हैं। जस्टिस महादेवन ने इस मामले में कहा कि दाखिल किए गए सारे दस्तावेज जाली हैं। महादेवन ने ये भी कहा कि ये कागजात एलकेजी के स्टूडेंट के सामने भी रखे जाएं तो वो बता देगा कि ये नकली दस्तावेज हैं।
आपने एक ऐसी फोटो कागजों में लगाई है जो कि पब्लिक डोमेन में मौजूद है। आपको क्या लगता है कि कोई भी आएगा और पीआईएल दाखिल कर देगा। इस व्यक्ति ने कागजों के साथ छोड़छाड़ की है। इसके ओरिजनल कागज कहां हैं?
कोर्ट के साथ न खेलें, कागजात की करें जांच
जज ने कहा कि कृष्णमूर्ति चेन्नई सिटी कमीश्नर के सामने सही दस्तावेजों का वेरिफिकेशन कराए। महादेवन ने ये भी कहा कि कोर्ट के साथ न खेलें। अडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर से भी कागजों की सत्यता की जांच करने के लिए कहा।
जज ने कृष्णमूर्ति के साथ मौजूद समाजसेवी के आर “ट्रैफिक” रामास्वामी से कहा कि आपने दस्तावेज देखे हैं। आपका यहां क्यो रोल हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसका जन्म 1985 में हुआ। इसके एक साल बाद वसंतमणि के परिवार ने उसे गोद लिया था।
वसंतमणि 1980 के वक्त में पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन के यहां काम करता था। याचिकाकर्ता के मुताबिक अडोप्शन डीड पर जयललिता और शोभन बाबू के हस्ताक्षर हैं। इसके साथ ही गवाह के तौर पर एमजी रामचंद्रन के भी हस्ताक्षर डीड पर मौजूद है्ं। जज ने इस बात पर संज्ञान लेते हुए कहा कि जिस वक्त अडॉप्शन डीड तैयार की गई उस वक्त रामचंद्रन अपना हाथ हिलाने की स्थिति में भी नहीं थे, लेकिन कागजों में दिखाया गया है कि उन्होंने डीड पर हस्ताक्षर किए हैं।