प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को असम में देश के सबसे बड़े पुल का उद्घाटन किया है। यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित धोला को उत्तरी तट पर स्थित सादिया से जोड़ेगा। यह लोहित नदी के ऊपर बना है जिसका एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला में और दूसरा छोर असम के सदिया में पड़ता है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने इस पुल का नाम असम के मशहूर लोकगायक भूपेन हजारिका के नाम पर रखने का ऐलान किया।
असम में तिनसुकिया जिले के सदिया में 2,056 करोड़ रुपए की लागत से बने इस रणनीतिक पुल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री कुछ दूरी तक इस पर चले। इसके बाद प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल तथा अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को लेकर एक वाहन इस पुल के ऊपर से गुजरा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश तक सैनिकों और आर्टिलरी के त्वरित गमन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पुल को टैंकों के आवागमन के हिसाब से डिजाइन किया गया है।
क्या है पुल की खास बात:
9.15 किलोमीटर लंबा ये पुल मुंबई स्थित प्रसिद्ध बांद्रा-वर्ली सी लिंक (5.6 किलोमीटर) से भी करीब दो-तिहाई लंबा है। इससे अब यह भारत का सबसे लंबा पुल हो गया है। इससे पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में संचार सुविधा काफी बेहतर हो जाएगी। इसका सबसे बड़ा लाभ भारतीय सेना को होगा। पुल से सेना को असम से अरुणाचल प्रदेश स्थित भारत-चीन सीमा तक पहुंचने में तीन से चार घंटे कम लगेंगे। इस सीमा पर भारत की किबिथू, वालॉन्ग और चागलगाम सैन्य चौकियां हैं।
उल्लेखनीय है कि इस पुल का निर्माण सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत 2011 में शुरू किया गया था। असम में लोहित नदी पर बने देश के सबसे लंबे ढोला-सदीया पुल के निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल सबसे बड़ी स्टील आपूर्तिकर्ता है। कंपनी ने इस पुल के लिए लगभग 90 प्रतिशत या लगभग 30,000 टन इस्पात की आपूर्ति की है। सेल ने एक विज्ञप्ति में बताया कि उसने इस पुल के लिए छड़, स्ट्रक्चरल स्टील और इस्पात की चादरों की आपूर्ति की है।