उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वह अपने बच्चों की बातों पर विश्वास करें। वह बच्चों में इतना आत्मविश्वास पैदा करें कि वह अपनी हर बात आपसे साझा करें। उन्होंने अपनी बेटी का उदाहरण देते हुए कहा कि गर्मी में भी वह रात में सभी को चद्दर जरूर डालती है।
बेटियां बेटों से ज्यादा केयरिंग होती हैं। हर किसी के पास एक बेटी जरूर होनी चाहिए। बेटी होगी तो कोई दुखी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जिनके बेटे-बेटियां दोनों हैं वह भी बेटियों को थोड़ा ज्यादा ध्यान और प्यार दें।
बेटी की चर्चा करते हुए स्वाति सिंह भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि आज मैं चाहकर भी अपने बच्चों को समय नहीं दे पाती हूं। अब तो आप सब मेरे बच्चे हैं, सबका ध्यान रखना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है। मैंने बच्चों के लिए नौकरी छोड़ी, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी कि कुछ और करना पड़ा। बेटियों का मां से ज्यादा लगाव होता है, लेकिन मैं चाहकर भी बेटी को पूरा समय नहीं दे पाती।