गंगा में खनन के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती को जबरन अनशन स्थल से उठाने के लिए पहुंचा पुलिस का अमला खाली हाथ वापस लौट आया। आश्रम में जबरन घुसे पुलिस वालों और स्वामी शिवानंद सरस्वती के चेलों के बीच जबरदस्त नोकझोंक भी हुई।
हरिद्वार के उपनगर कनखल के पास जगजीतपुर गांव में अपने आश्रम में गंगा में खनन के खिलाफ आंदोलनरत स्वामी शिवानंद सरस्वती ने बीते तीन दिन से पानी पीना भी छोड़ बाकी पेज 8 पर दिया है। इससे उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है। स्वामी शिवानंद को अनशन स्थल से उठाने के लिए हरिद्वार के नगर मजिस्ट्रेट जय भारत सिंह रावत पुलिस बल के साथ आश्रम में पहुंचे। तार-बाड़ काटकर पुलिस का अमला आश्रम के भीतर घुसा और अपने कमरे में अनशन करने वाले स्वामी को बाहर निकालने के लिए पुलिस वालों ने जबरन ड्रिल मशीन से कमरे का ताला काट दिया और कटर से कमरे का दरवाजा काटा। जब स्वामी शिवानंद ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया तो पुलिस वालों ने कटर मशीन को बंद कर दिया। स्वामीजी के शिष्यों ने पुलिस कार्रवाई का जमकर विरोध किया। चार-पांच घंटों की मशक्कत के बाद भी पुलिस प्रशासन स्वामी शिवानंद को जबरन उठाने में कामयाब नहीं हो पाया।
बाद में मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद ने कहा कि पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई प्रशासनिक गुंडागर्दी है। प्रशासन ने उनकी हत्या करने की कोशिश की है। जिस वक्त कटर मशीन से उनके साधना कक्ष का दरवाजा काटा जा रहा था, तब उनके कमरे में धुंआ भर गया था। इससे उनका दम घुट सकता था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत, नगर मजिस्ट्रेट, एसडीएम, कनखल थानाध्यक्ष समेत पचास पुलिस और प्रशासन के कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालय में हत्या की साजिश करने का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।