आगामी राष्ट्रपति चुनावों को लेकर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की एकता खतरे में दिखाई पड़ रही है। विपक्ष चाहता है कि भले ही केंद्र में उनकी पार्टी में से किसी की सरकार न बनी हो लेकिन राष्ट्रपति उन्हीं के द्वारा चुना गया उम्मीदवार बने। तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां चाहती हैं कि विपक्ष में आम आदमी पार्टी को भी शामिल किया जाए लेकिन कांग्रेस नहीं चाहती कि वे अरविंद केजरीवाल को इसमें शामिल करें। कांग्रेस का कहना है कि आम आदमी पार्टी बीजेपी की बी टीम है। कांग्रेस ने कहा कि आप ने केवल उन्हीं राज्यों में चुनाव लड़े जहां से हमारी पार्टी के वोट कट सकें।
सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा कि गोवा के ईसाई मतदाता कांग्रेस को वोट देते हैं लेकिन इस बार हमें कम वोट मिले। केवल 6 प्रतिशत कम वोट की वजह से राज्य में बीजेपी ने अपनी सरकार बना ली। अगर गोवा में आप चुनाव मैदान में नहीं होती तो आज राज्य में कांग्रेस की सरकार होती। अरविंद केजरीवाल के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार से अच्छे संबंध हैं लेकिन अन्य पार्टियों के कई नेताओं को केजरीवाल के विपक्ष में शामिल होने से आपत्ति है।
आपको बता दें कि 26 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विपक्ष में शामिल सभी राजनीतिक पार्टियों को लंच पर बुलाया गया था लेकिन वहीं अरविंद केजरीवाल को इसमें शमिल होने के लिए न्यौता तक नहीं दिया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है, इसलिए विपक्ष की तरफ से साझा उम्मीदवार उतारकर सोनिया गांधी 2019 के लोक सभा चुनाव में सभी भाजपा विरोधी दलों को एक झंडे तले आने की तैयारी करना चाहती हैं। इस भावी गठबंधन में कांग्रेस आम आदमी पार्टी को नहीं शामिल करना चाहतीं क्योंकि आम आदमी पार्टी उन्हीं राज्यों में अपनी पैठ बना रही है जहां पर भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है।