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गांधी को भुनाने का इस देश में अवसर कोई नहीं चूकता

पर उपदेश

अपना राज हो तो पुलिस भी चाकरी करने लगती है। पश्चिम बंगाल की पुलिस इस मामले में अपवाद कैसे हो सकती है। कोलकाता में वामदलों के सचिवालय अभियान के दौरान फिर खुलासा हुआ पुलिस के इस चेहरे का। अभियान में शामिल कार्यकर्ताओं पर लाठियां भांजने में कोई रहम नहीं किया पुलिस ने। यहां तक कि पत्रकारों और छायाकारों को भी नहीं बख्शा। पत्रकारों की पिटाई का सुख तो खुद आला आइपीएस अफसरों ने उठाया। सो एक दर्जन पत्रकार हुए जख्मी। तो भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दिल नहीं पसीजा। एक शब्द नहीं बोला उन्होंने अब तक। पुलिस के आला अफसरों ने भी विभागीय जांच की दुहाई देकर लीपापोती का ही प्रयास किया। पाठकों को याद दिला दें कि 24 साल पहले ममता बनर्जी ने भी किया था वाम मोर्चे की सरकार के खिलाफ सचिवालय अभियान। पुलिस की गोली से युवक कांग्रेस के 13 कार्यकर्ता मारे गए थे। ममता तब युवक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष थी। इस बार भी हादसा उतना ही गंभीर हो जाता अगर ममता ने पुलिस को पहले से चेताया न होता कि कुछ भी हो जाए फायरिंग नहीं करनी है। वामपंथियों से भाजपा का सांप-नेवले जैसा नाता है तो क्या, उन पर पुलिस जुल्म की निंदा तो कांग्रेस के साथ भाजपा ने भी जमकर की। माकपा और कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में भी किया इसके विरोध में जमकर हंगामा। लोकतंत्र के खात्मे की सरकारी साजिश बताया। सूबे में माकपा की सहयोगी है अब कांग्रेस। राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर अपनी व्यथा कहने से ज्यादा और कर भी क्या सकते थे ये दोनों सहयोगी दल।
सबके बापू

गांधी को भुनाने का इस देश में अवसर कोई नहीं चूकता। पहले कांग्रेसी रहते थे इस फिराक में। अब गैरकांग्रेसी भी पीछे नहीं हैं। वे भी गांधी को अपना बताते हैं। यह बात अलग है कि उनके आदर्शों की धज्जी उड़ाने में भी कसर नहीं छोड़ते। गांधीजी को भुनाने का आलम अब यह है कि भाजपा भी इस दौड़ में शरीक हो गई है। गांधी के चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी पर नीतीश कुमार की नजर पड़ी तो उन्होंने कई आयोजन तय कर डाले। यह सिलसिला अभी जारी है। आयोजनों में गांधी के आदर्शों को मानने वाले ऐसे लोग हिस्सा ले रहे हैं जो भाजपा के कट्टरविरोधी हैं। उधर नीकू लगातार सोचते रहते हैं कि गांधी के नाम पर क्या किया जाए? स्कूली बच्चों को अब गांधी के बारे में किताबों में ज्यादा जानकारी मिलेगी। गांधी जी की प्रार्थना करेंगे अब बच्चे। गांधी की 2019 में 150वीं जयंती मनेगी। नीकु उसे धूमधाम से मनाना चाहेंगे। यों भी सियासी नजरिए से तो यह साल ज्यादा ही अहम होगा। तभी होंगे देश में लोकसभा चुनाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का आकलन। मोदी तो गांधी की 150वीं जयंती से पहले सारे देश को स्वच्छ बनाने का आह्वान पहले ही कर चुके हैं।

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