मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान एक छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को केवल इसलिए रिहा कर दिया क्योंकि महिला छेड़छाड़ के समय चिल्लाई नहीं थी। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें महिला ने कहा था कि जिस समय यह घटना हुई उस समय उसका बच्चा भी साथ था और वह बहुत डर गई थी। कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए साफतौर पर कहा कि किसी भी मामले में पीड़ित का रिएक्शन बहुत अहम होता है लेकिन वहां कई लोग मौजूद थे और ऐसा भी नहीं था कि यह घटना किसी सुनसान जगह पर हुई हो। कोर्ट ने कहा कि महिला का बयान न तो स्पष्ट है और न ही विश्वसनीय है।
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वहां कई लोग मौजूद थे। महिला को चिल्लाकर अपनी मदद के लिए किसी को बुलाना चाहिए था लेकिन महिला ने ऐसा नही किया। महिला के साथ हुई इस घटना का कोई चश्मदीद भी नहीं है। कोर्ट में महिला ने कहा कि आरोपी ने शराब पी रखी थी, तो कोर्ट ने उससे कहा कि तुमने पुलिस को अपनी शिकायत में यह बात क्यों नहीं बताई। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि महिला ने अपने बयान में कहा था कि घटना के वक्त उसने सलवार-कमीज पहने थे जबकि जांच पुलिस अधिकारियों ने बताया कि महिला ने नाइट गाउन पहना हुआ था। ऐसी कई बातें हैं जिनमें महिला का बयान सच नहीं लगता है।
आपको बता दें कि यह मामाला 22 दिसंबर, 2014 का है। महिला ने इस मामले की शिकायत डिनड़ोशी पुलिस थाने में कराई थी जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। महिला ने पुलिस को अपने बयान में बताया था कि वह अपने बेटे के साथ घर के ही पास खेल रही थी कि तभी वहां पर एक व्यक्ति आया। उसने एक हाथ महिला के बेटे के गाल पर रखा और दूसरे से महिला के प्राइवेट पार्ट को छुआ। इसके बाद महिला डर कर अपने बेटे को लेकर वहां से घर भाग गई और उसने इसके बारे में अपनी मां और दो बहनों को बताई।